Ayodhya Verdict: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारूकी बोले- हमें 100 एकड़ जमीन भी दे दो तो कोई फायदा नहीं
नई दिल्ली। बहुचर्चित अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने का फैसला किया। साथ ही कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को दूसरे स्थान पर 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है।
67 एकड़ जमीन पहले ही अधिगृहीत की जा चुकी है- कमाल फारूकी
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुकी ने कहा, 'इसके बदले हमें 100 एकड़ जमीन भी दे दे तो कोई फायदा नहीं है। हमारी 67 एकड़ जमीन पहले ही अधिगृहीत की जा चुकी है तो हमको दान में क्या दे रहे हैं वो? हमारी 67 एकड़ लेने के बाद 5 एकड़ जमीन दे रहे हैं, ये कहां का इंसाफ है?' वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि यदि हमारी समिति सहमत होती है तो हम एक समीक्षा याचिका दायर करेंगे।
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कमेटी सहमत हुई तो समीक्षा याचिका दायर करेंगे- जिलानी
उन्होंने कहा कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इससे संतुष्ट नहीं हैं। साथ ही उन्होंने फैसले को लेकर किसी तरह का प्रदर्शन ना करने की अपील भी की। इसके पहले, शनिवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में स्कीम लाए और ट्रस्ट बनाए। यह ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण करेगा। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधि बनाया जाएगा।
रामलला का दी जाएगी विवादित जमीन
फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बात पर जोर दिया कि कानून, राजनीतिक विचारधारा, धर्म और आस्था से ऊपर है। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है। साथ ही कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की संविधान पीठ ने 40 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्दनेजर अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पूरे यूपी में धारा 144 लागू है और स्कूल-कॉलेज 11 नवंबर तक बंद रखने का आदेश दिया गया है।