'अयोध्या' को लेकर ओवैसी के बयान पर क्या बोले मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ओवैसी के बयान को लेकर अब अयोध्या केस के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने बड़ा बयान दिया है।
नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले पर अपना असंतोष जाहिर करते हुए संकेत दिए हैं कि वो इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार कर रहा है। वहीं, एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी असहमति जताई है। ओवैसी ने कहा कि भारत के मुस्लिम को खैरात की जरूरत नहीं है। हमें 5 एकड़ जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए। ओवैसी के बयान को लेकर अब अयोध्या केस के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने जवाब दिया है।
'कोई क्या कह रहा है, हमें परवाह नहीं'
असदुद्दीन ओवैसी के बयान को लेकर जब इकबाल अंसारी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, मैं उसका पूरी तरह सम्मान करता हूं। हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़े, लेकिन कुछ लोग हैं जो सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में हम खुद पक्षकार हैं, कोई क्या कह रहा है, हमें परवाह नहीं है और ना ही मैं इस मामले में कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वाला हूं। मैं बस इतना चाहता हूं कि हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच भाईचारा बना रहे। अब सरकार तय करे कि वो हमें जमीन किस जगह पर दे रही है। जमीन मिलने के बाद हमारी कमेटी तय करेगी कि मस्जिद का निर्माण कैसे होना है।'
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ओवैसी ने कहा क्या था
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इसपर प्रतिक्रिया देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, 'भारत के मुस्लिम को खैरात की जरूरत नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है और हम अपने कानूनी हक की लड़ाई लड़ रहे थे। हमें 5 एकड़ जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने भी कहा कि वे इस फैसले से सहमत नहीं हैं। हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं। कांग्रेस ने भी आज अपना असली रंग दिखा दिया है। अगर 1949 में मूर्तियों को नहीं रखा गया होता और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने ताले नहीं खुलवाए होते तो मस्जिद अभी भी होती। नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का पालन किया होता तो मस्जिद अभी भी होती।'
'ओवैसी 20 करोड़ मुसलमानों के ठेकेदार नहीं'
ओवैसी के इस बयान के बाद कांग्रेस नेता सलमान निजामी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'पांच एकड़ जमीन को अस्वीकार क्यों किया जाए? ओवैसी 20 करोड़ से ज्यादा मुसलमानों के ठेकेदार नहीं हैं। हमें 'मस्जिद' का निर्माण करना चाहिए, और साथ में एक ऐसा शैक्षिक संस्थान भी बनाना चाहिए, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों एक साथ मिलकर पढ़ाई कर सकें। इस मामले में किसी को भी निराश नहीं होना चाहिए। नफरत और बुराई के मंसूबों को केवल सकारात्मक सोच और ऊर्जा से ही हराया जा सकता है।' सलमान निजामी ने कहा कि मंदिर की घंटियों की आवाज़ और उसका कंपन, अज़ान के साथ...यही मेरे भारत की खूबसूरती है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन का हक रामलला विराजमान को देते हुए केंद्र सरकार को मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही किसी और जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया है। अयोध्या में रामजन्मभूमि की विवादित जमीन पर शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा भी दावेदार थे। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों की दावेदारी को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए।