Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले ASI के पूर्व आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद
नई दिल्ली। देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने और मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया। इस फैसले के दौरान कोर्ट ने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है। वहीं, फैसला आने के बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व रिजनल डायरेक्टर केके मोहम्मद का बयान भी आया।
ASI के पूर्व अधिकारी क्या बोले
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) केके मोहम्मद ने कहा कि ASI द्वारा निकाले गए पुरातात्विक और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि वहां एक भव्य मंदिर था और हमें एक बार फिर से नए मंदिर का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद से पहले राम मंदिर मौजूद था।
ये भी पढ़ें: Ayodhya Verdict: कोर्ट के फैसले से असहमत: असदुद्दीन ओवैसी
|
तब मुझे काफी बुरा-भला कहा था- केके मोहम्मद
केके मोहम्मद ने कहा कि लोगों के एक ग्रुप ने तब मुझे काफी बुरा-भला कहा था। ये ठीक वैसा फैसला है, जैसा हम सब चाहते थे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद को खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था, खुदाई में जो ढांचा पाया गया वह गैर-इस्लामिक था। अयोध्या के संवेदनशील मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि ढांचा को गिराया जाना कानून का उल्लंघन था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्पष्ट किया है कि आस्था और विश्वास के आधार पर जमीन का मालिकाना का हक नहीं दिया जा सकता है।
|
शिया वक्फ बोर्ड के दावे को कोर्ट ने किया खारिज
कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए शिया वक्फ बोर्ड की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमे कहा गया था कि विवादित स्थल को उन्हें सौंप देना चाहिए, क्योंकि मस्जिद को शिया लोगों ने बनवाया था। केके मोहम्मद उस टीम की हिस्सा रहे हैं जिसने अयोध्या मामले में पुरातात्विक खुदाई की थी। खुदाई में एएसआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने परीक्षण किया था, जिसके बाद कहा गया कि विवादित ढांचे के नीचे भव्य मंदिर था।