Ayodhya Verdict पर इस डायरेक्टर ने जताई निराशा, कहा- बाबरी मस्जिद एक घोषित राष्ट्रीय स्मारक थी
नई दिल्ली। देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक अयोध्या भूमि विवाद पर शनिवार को आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के हक में रहा। विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को देने के अलावा कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बॉलीवुड से कई प्रतिक्रियाएं आई हैं। सलीम खान, जावेद अख्तर और कई एक्टर्स ने इस फैसले का स्वागत किया है वहीं, निर्देशक आनंद पटवर्धन ने सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को बेहद निराश करने वाला बताया है।
बाबरी मस्जिद को बताया राष्ट्रीय स्मारक
एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए आनंद पटवर्धन ने दावा किया कि बाबरी मस्जिद एक घोषित राष्ट्रीय स्मारक थी, ये केवल मुस्लिमों नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए था। पटवर्धन ने कहा कि बाबरी मस्जिद को तोड़ने वाले नेता जेल नहीं गए, बल्कि इसके बदले उनको सम्मानित किया गया। धर्मनिरपेक्ष भारत तभी बन सकता है जब हम अपने स्वतंत्रता के मूल्यों को फिर से अपनाएं।
बनाई है 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री
बता दें कि आनंद पटवर्धन ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने से ठीक तीन महीने पहले, 'राम के नाम' एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। ये डॉक्यूमेंट्री बाबरी मस्जिद के स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए छेड़ी गई विश्व हिंदू परिषद की मुहिम को दर्शाया गया है। इस फैसले के बाद सलमान खान के पिता और पटकथा लेखक सलीम खान का बयान आया था। फैसले का स्वागत करते हुए सलीम खान ने मुस्लिम समुदाय से अपील करते हुए कहा कि मोहब्बत जाहिर करिए और माफ करिए। अब इस मुद्दे को फिर से मत कुरेदिए, यहां से आगे बढ़िए।
रामलला विराजमान को मिला मालिकाना हक
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने का फैसला सुनाया। बता दें कि रामलला ना तो कोई संस्था हैं और ना ही कोई ट्रस्ट, यहां बात स्वयं भगवान राम के बाल स्वरुप की हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को लीगल इन्टिटी मानते हुए जमीन का मालिकाना हक उनको दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है।
बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नहीं बनी थी- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद को खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था, खुदाई में जो ढांचा पाया गया वह गैर-इस्लामिक था। बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नहीं बनी थी और खुदाई में निकला ढांचा गैर-इस्लामिक था। सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित स्थल पर 1856-57 तक नमाज पढ़ने के सबूत नहीं हैं। हिंदू इससे पहले अंदरूनी हिस्से में भी पूजा करते थे। हिंदू बाहर सदियों से पूजा करते रहे हैं।