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अयोध्‍या राम मंदिर केस: 130 वर्ष पुराने विवाद के लिए 1000 से अधिक किताबें पलट चुके हैं वकील

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बेंगलुरु। करीब सवा सदी पुराने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में कानूनी दलीलों और बहस का जल्‍द ही इतिश्री हो जाएगा। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस मामले की 6 अगस्त से लगातार सुनवाई कर रही है जिसके फैसले पर पूरे देश की नजर है। चीफ जस्टिस आफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ का अयोध्या स्थित 2.77 एकड़ भूमि के मालिकाना हक को लेकर सुनाया जाने वाला फैसला ऐतिहासिक होगा जो देश की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकता है।

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अगर सब कुछ पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप ही हुआ तो निश्चित मानिये तीन दिन के भीतर 130 साल से ज्यादा पुराने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई के मौजूदा चरण पर विराम लग जायेगा। फिलहाल तो किसी को नहीं पता कि इस प्रकरण की छह अगस्‍त से शुरु हुयी फास्‍ट ट्रेक सुनवाई का नतीजा क्या निकलेगा? केवल अटकलें ही लगायी जा सकती हैं। कि ऊंट किस करवट बैठेगा? लेकिन इस सबसे अगल हम आपको कोर्ट रुम के बाहर के इस केस के दोनों पक्षों के वकील जो पिछली 6 अगस्‍त से केवल अदालती जिंदगी ही जी रहे हैं उनकी तैयारियों और उनसे जुड़े अनछुए पहलुओं से रुबरु करवाते हैं जो काफी रोचक हैं।

मुस्लिम पक्ष के वकील पढ़ रहे बाल्मीक‍ि रामायण और स्कंध पुराण

मुस्लिम पक्ष के वकील पढ़ रहे बाल्मीक‍ि रामायण और स्कंध पुराण

1986 से लखनऊ कोर्ट में इस मामले की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी वाल्मीकि रामायण पढ़कर केस के लिए तथ्य खोज रहे हैं। उन्होंने बताया कि हिंदू ग्रंथों को खूब पढ़ा और अब रोज सुनवाई हो रही है तो भी पढ़ रहे हैं। जब हिंदू पक्षकारों की ओर से दलीलें रामायण और स्कंध पुराण पर दी जाती हैं तो उनका जवाब देने के लिए वही ग्रंथ पढ़ते हैं। हमें (मुस्लिम पक्ष) अपना जवाब देना है,इसलिए इस धर्मग्रन्‍थ को पढ़ना भी जरुरी हैं। वे बताते हैं कि राजीव धवन तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। वे किताबें खूब पढ़ते हैं। जिलानी बातते हैं कि जैसे ही इस केस की रोज सुनवाई शुरूहुई, वे दिल्ली में ही डेरा जमाए हैं। घर जाना तो दूर घर वालों की खैरियत लेने का भी समय नहीं मिलता। हिंदू ग्रंथों को खूब पढ़ा और अब रोज सुनवाई हो रही है तो भी पढ़ रहे हैं।

हिन्‍दू पक्ष के वकील पढ़ रहे बाबरनामा-आईन और कुरान

हिन्‍दू पक्ष के वकील पढ़ रहे बाबरनामा-आईन और कुरान

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अयोध्‍या मामले की 6 अगस्त से लगातार सुनवाई कर रही है। हिंदू पक्ष के वकील बाबरनामा-आईन, अकबरी-कुरान पढ़ रहे हैं। हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि मुस्लिम धर्म पर दलीलें देना हैं तो उनके धर्म का अध्ययन करना जरूरी है। मैं तीसरी बार बाबरनामा पढ़ रहा हूं, क्योंकि बाबरी मस्जिद का मामला बाबर से जुड़ा है। इसके अलावा पिछली 37 सुनवाई में हमने जितने भी मुस्लिम शासकों का जिक्र किया, उनकी धार्मिक कट्‌टरता को समझने के लिए अकबर, जहांगीर, हुमायूं की किताबों का अध्ययन किया।

1987 से इस मामले की पैरवी कर रहे हिंदू पक्ष के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन हर दिन बाबरनामा पढ़ा। उनके 5 सहयोगी भी मुस्लिम धर्म की अलग-अलग किताबों के पन्ने पलट रहे हैं। हरिशंकर जैन ने बताया कि मुस्लिम पक्ष की दलीलों का उत्तर देना है, इसलिए तीसरी बार बाबरनामा पढ़ रहा हूं। पहले रोज दो घंटे पूजन करता था, लेकिन दो महीने से पूजन नहीं कर सका। अब रामलला का केस ही पूजन हो गया है।

1000 किताबों के पन्ने पलट चुके हैं वकील

1000 किताबों के पन्ने पलट चुके हैं वकील

हिंदू पक्ष के वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन सुबह 4 बजे तक केस की तैयारी करते हैं तो मुस्लिम पक्ष के राजीव धवन रात-रातभर नोट‌्स पर काम करते हैं। धवन कई बार रात 2 बजे से केस नोट्स पढ़ना और ठीक करना शुरू करते हैं। सुबह 8 बजे तक सीट से नहीं उठते। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट चले जाते हैं। शाम को अगले दिन की तैयारी शुरू करते हैं। ये केवल वरिष्ठ वकीलों की दिनचर्या नहीं है, बल्कि इनके 50 सहयोगी वकीलों का खाना-पीना भी दफ्तर में ही हो रहा है। दोनों पक्षों के वकील कोर्ट और ऑफिस के अलावा किसी कार्यक्रम में या कहीं घूमने आखिरी बार 2 अगस्त से पहले गए थे। 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रोज सुनवाई की तारीख 6 अगस्त मुकर्रर की। इसके बाद से कोर्ट और ऑफिस में केस की तैयारी ही इनकी जिंदगी है। डेढ़ महीने में दोनों पक्षों के वकील तकरीबन 10 लाख रुपए की किताबें खरीद चुके हैं। करीब 1000 किताबों के पन्ने पलट रहे हैं।

तीन दिन तक लगातार जागते रहे मुस्लिम पक्ष के वकील

धवन से जब पूछा गया कि आप केस की तैयारी में क्या करते हैं तो उन्होंने तीन मोटी किताबें दिखाई और कहा कि यह देखिए। यह है जजमेंट। तकरीबन 10 हजार पेज के जजमेंट को पढ़ना भी तैयारी का हिस्सा रहता है। धवन के सहयोगी बताते हैं कि पिछले दिनों बहस का जवाब बनाना था तो धवन तीन दिन तक लगातार जागते रहे। शाम को 6 बजे कोर्ट से लौटने के बाद हमें निर्देशित करने के साथ हमारा काम शुरू हुआ। हमने रात 2 बजे तक नोट्स तैयार किए और धवन सर की टेबल पर रख दिए। इसके बाद सर ने उन नोट्स के एक-एक शब्द को पढ़ना शुरू किया। सुबह 9 बजे तक नोट्स फाइनल हुए और सुबह 10.30 पर कोर्ट पहुंच गए। हमें तो दिन में बहस नहीं करनी थी, लेकिन धवन साहब ने शाम 5.15 बजे तक सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दी। शाम 6 बजे से फिर से हमें नोट्स बनाने के लिए निर्देशित करने लगे। ऐसा लगातार तीन दिन तक चला। इन्‍हीं दिनों धवन को पारिवारिक काम के सिलसिले में बाहर जाना बहुत जरूरी था, लेकिन वो नहीं गए।

अयोध्या मामले का फैसला ही कई किताबों के बराबर

अयोध्या मामले का फैसला ही कई किताबों के बराबर

अयोध्या मामला संवेदनशील होने से इस मामले से जुड़े तमाम वकील बातचीत नहीं कर रहे हैं। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से मीडिया कोई साक्षात्कार करना चाहती हैं तो उनका ये ही जवाब रहता हैं ‘केस के फैसले तक नो इंटरव्यू'। हालांकि, अदालती कार्यवाही से अलग पैरवी की तैयारियों पर उनका कहना था कि उनकी टीम बेहतर समझा सकती है। किताबों के अध्ययन पर धवन ने कहा कि साधारण केस में ही 200 किताबें पढ़ते हैं, फिर इस मामले में तो जजमेंट ही कई किताबों के बराबर है। यही हाल हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन, के. पाराशरन और हरिशंकर जैन का है। जैन बताते हैं कि मुस्लिम धर्म को समझने के लिए सबसे ज्यादा किताबें पढ़नी पड़ी। हजारों पेज का जजमेंट और रोज सुनवाई होती है तो 200 किताबें पढ़ना आम बात है। इस केस में किताबों की संख्या तीन से चार गुना हो गई है। हमारी टीम बहुत मेहनत कर रही है।

दो घंटे ही सो रहे हिंदू पक्ष के वकील

दो घंटे ही सो रहे हिंदू पक्ष के वकील

हिंदू पक्ष के वकील के. पाराशरन, सीएस वैद्यनाथन, रंजीत कुमार, पीएन मिश्रा और हरिशंकर जैन हैं। इनके सहयोगी बताते हैं कि अगर 39 दिनों तक लगातार चली सुनवाई की बात की जाए तो हम कुल 74 घंटे यानी दिन में दो घंटे से ज्यादा आराम नहीं कर सके हैं। केवल शनिवार-रविवार को 4-4 घंटे सो पाते हैं। रोज सुनवाई के चलते केस पर रिसर्च और धर्म पर दी गईं दलीलों को क्रॉसचेक करना पड़ता है। वरना सही और गलत का रेफरेंस कैसे मिलेगा? यह केस धर्म से जुड़ा है तो उस धर्म की दलीलों को समझना, पढ़ना और नोट‌्स बनाना जरूरी है। फिर अगले दिन बहस और बहस का जवाब बनाना होता है। वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन बताते हैं कि रात 2 बजे से पहले कोई भी सहयोगी घर नहीं जाता। सहयोगियों के घर जाने के बाद सुबह 5 बजे से हम फिर तैयारी शुरू कर देते हैं। कई बार तो नोट्स के प्रिंट और उसके सेट इतने होते हैं कि एक घंटे का समय उसी में लग जाता है। सुबह 8 बजे तक चाय पीकर तैयार होते हैं और 9 बजे तक कोर्ट के लिए निकल जाते हैं। सुबह 10.30 से शाम 5.15 तक कोर्ट की सुनवाई के बाद कोर्ट से बाहर होते-होते 6 बजते हैं। ऑफिस पहुंचकर 7 बजे से फिर केस की तैयारी शुरू हो जाती है। तब जाकर रोज सुनवाई की तैयारी हो पा रही है। कई बार तो वैद्यनाथन सुबह के 4 बजे तक केस नोट्स की स्टडी करते रहते हैं।

लंच का भी नहीं मिल रहा समय

हिंदू पक्ष के एडवोकेट हरिशंकर जैन बताते हैं कि जैसे ही कोर्ट ने 2 अगस्त को रोज सुनवाई का फैसला सुनाया, वैसे ही ऑफिस को वॉर रूम बना लिया गया। परिवार के साथ आखिरी बार दो महीने पहले 1 अगस्त को खाना खाया था। तब से ऑफिस में ही टिफिन मंगा लेते हैं और सहयोगियों के साथ केस की तैयारी करते हुए खाना खा लेते हैं। कोर्ट के लंच टाइम में भी 15 मिनट में फ्रेश होकर फिर केस की तैयारी करने लगते हैं। कार्यक्रम अटेंड करना तो दूर किसी रिश्तेदार या परिचित से मिल भी नहीं सके।

रात 4 बजे टीम घर जाती है, फिर धवन नोट्स पर काम शुरू करते हैं

रात 4 बजे टीम घर जाती है, फिर धवन नोट्स पर काम शुरू करते हैं

दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित राजीव धवन के घर पर शाम कोर्ट से लौटने के बाद राजीव धवन के निर्देश पर 7 सहयोगियों की टीम काम करना शुरु कर देती है। धवन अपनी टीम के साथ देर रात तक तैयारी करते रहते हैं। पिछली 6 तारीख से न वो ठीक से पूरी नींद सोएं न ही उनकी टीम पूरी नींद सो पायी हैं। रोज सुनवाई के चलते इन्हें भी काफी मेहनत करनी पड़ रही है। कई दिनों तो भोर में 4 बजे तक धवन और उनकी टीम अगले दिन की सुनवाई की तैयारी करते रहे हैं।

धवन के सहयोगी बताते हैं कि हम तो सुबह 4 बजे घर चले गए, लेकिन इसके बाद इन नोट्स को पढ़ना और करेक्शन लगाने का काम सुबह 8 बजे तक धवन साहब खुद करते रहे। करेक्शन के बाद प्रिंट के लिए पहुंचाया और कोर्ट के लिए तैयार हो गए। धवन के सहयोगियों ने बताया कि ये एक दिन का रुटीन नहीं है। रोज सुनवाई के चलते लगभग यही दिनचर्या है। मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन के सहयोगी बताते हैं कि हमारा खाना-पीना ही नहीं, पार्टी भी धवन साहब के ऑफिस में ही हो रही है। धवन साहब ने तो सुप्रीम कोर्ट में भी कह दिया था कि रोज सुनवाई हो रही है तो सहयोगियों को घर पर पार्टी भी देना पड़ती है।

दोनों पक्ष के वकील बिना फीस के कर रहे पैरवी

दोनों पक्ष के वकील बिना फीस के कर रहे पैरवी

हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन बताते हैं कि उन्होंने 1989 में लखनऊ से इस केस की पैरवी शुरू की थी, लेकिन आज तक एक पैसा भी नहीं लिया। वे कहते हैं कि हम तो राम के लिए लड़ रहे हैं तो पैसा कैसे ले सकते हैं? अन्य वकीलों की फीस के बारे में हरिशंकर जैन कहते हैं कि दोनों पक्षों के जो व्यवसायिक वकील हैं, वे तो फीस ले रहे हैं। फीस पक्षकार ही देते हैं। किसी की फीस पाकिस्तान, अरब देशों से आती है तो किसी की हिंदुस्तानियों से।

वहीं जफरयाब जिलानी बताते हैं कि राजीव धवन हमारे केस से 1994 में जुड़े थे। तब से आज तक बिना फीस पैरवी कर रहे हैं। हमने एक बार मुंशी को रुपया दिया तो धवन साहब ने लौटा दिया। इस मामले में राजीव धवन बताते हैं कि उन्हें रुपयों की कोई चाहत नहीं है। वे वेतन पर काम करने जैसा व्यवहार नहीं करते। ये सही है कि एक बार मुस्लिम पक्ष ने पैसा देने का प्रयास किया था तो मैंने साफ इंकार करने के साथ लिखकर भी दिया था कि रुपया वापस दे रहा हूं ताकि रकम सही जगह पहुंच जाए।

अयोध्या राम मंदिर केसः क्या होगा कोर्ट का फैसला? जानिए किसकी दलील में कितना दम!अयोध्या राम मंदिर केसः क्या होगा कोर्ट का फैसला? जानिए किसकी दलील में कितना दम!

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English summary
The Ayodhya Ram temple dispute, which is a 130 year old case, may be decided soon. What have the lawyers of the Hindu and Muslim side done for cross-examination so far. Their routine
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