क्या होता है 'टाइम कैप्सूल', क्यों डाला जाएगा ये राम मंदिर की नींव में?
नई दिल्ली। 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास होने वाला है,जिसकी तैयारियां युद्दस्तर पर हैं,मंदिर के निर्माण के साथ-साथ एक बात भी प्रकाश में आई है और वो है 'टाइम कैप्सूल'। दरअसल अयोध्या में राम मंदिर की नींव में 200 फीट नीचे एक कंटेनर के रूप में 'टाइम कैप्सूल' डाला जाएगा, जो कि ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा, जिससे हजारों सालों बाद भी अगर किसी को खुदाई में कैप्सूल मिले तो उस वक्त के लोगों को राम जन्मभूमि के बारे में हर बात पता चल सके।
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ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा 'टाइम कैप्सूल'
इस कैप्सूल में राम मंदिर के इतिहास, विवाद और फैसले से जुड़ी हर जानकारियां होंगी, जिससे आने वाली पीढ़ियों को भी इस मंदिर के बारे में सारी बात अच्छे से पता चल सके,अब आपके मन में ये सवाल घूम रहा होगा कि आखिर 'टाइम कैप्सूल' होता क्या है और ये कैसे काम करता है, तो चलिए विस्तार से जानते हैं 'टाइम कैप्सूल' के बारे में...
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क्या होता है 'टाइम कैप्सूल'
दरअसल 'टाइम कैप्सूल' खास सामग्री से बना हुआ एक कंटेनर होता है, जिसके ऊपर किसी मौसम का असर नहीं होता है और ना ही सड़ता या गलता है, इसे जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है, इस पर किसी केमिकल का भी असर नहीं होता है और यह जस की तस धरती के अंदर रहता है। राम मंदिर के लिए इस्तेमाल होने वाले 'टाइम कैप्सूल' में धातुओं की कई परतों का इस्तेमाल किया जाएगा और उसमें हिंदी अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में जानकारी अंकित होगी।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले के नींव में डलवाया था 'टाइम कैप्सूल'
भारत में पहले भी 'टाइम कैप्सूल' का इस्तेमाल होता रहा है। साल 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले के 32 फीट नीचे अपने हाथ से 'टाइम कैप्सूल' डाला था, जिसे कि 'कालपत्र' नाम दिया गया था, हालांकि उस वक्त ये एक विवाद का कारण बन गया था, इंदिरा गांधी के ऊपर अपने परिवार को महिमामंडित करने का आरोप लगा था, उस 'टाइम कैप्सूल' में भारत की आजादी के 25 सालों का जिक्र था, जिसमें संघर्ष की पूरी दास्तां थी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर
साल 2010 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ( IIT, KANPUR)ने अपने 50 बरस पूरे होने पर 'टाइम कैप्सूल' का इस्तेमाल किया था, जिसे कि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने जमीन के अंदर डाला था। कानपुर के अलावा चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में भी 'टाइम कैप्सूल' दफनाया है।
दुनिया
का
सबसे
पुराना
'टाइम
कैप्सूल'
साल
2017
में
स्पेन
में
करीब
400
साल
पुराना
'टाइम
कैप्सूल'
मिला
था,
जो
कि
प्रभु
यीशु
की
मूर्ति
की
शक्ल
में
था,
जिसके
अंदर
एक
दस्तावेज
था
और
उसमें
1777
के
आसपास
की
आर्थिक,
राजनीतिक
और
सांस्कृतिक
सूचनाएं
थीं।
जिसे
कि
दुनिया
का
सबसे
पुराना
'टाइम
कैप्सूल'
माना
जाता
है।