अयोध्या विवाद: राजीव धवन बोले- सीजेआई की इजाजत से फाड़े दस्तावेज
नई दिल्ली। अयोध्या जमीन विवाद मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान दस्तावेज फाड़ने पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने राजीव धवन ने कहा है कि सीजेआई की इजाजत से उन्होंने कागजों को फाड़ा। सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने हिन्दू महासभा के वकील विकास सिंह की ओर से पेश कि गए नक्शे को फाड़ दिया था, जिस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई। फिर से सुनवाई शुरू होने पर धवन ने कहा, मैंने कहा था कि इसे फाड़ रहा हूं, इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि जो करना है करो, तो मैंने फाड़ दिया।
नक्शा फाड़ने को लेकर सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा, मेरे दस्तावेज फाड़ने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। दस्तावेज हाथ में लेकर मैंने आपसे (चीफ जस्टिस) कहा कि मैं इसे फाड़ना चाहता हूं। आपने कहा आपकी मर्जी है तो मैंने फाड़ दिया। अब मीडिया में चल रहा है कि चीफ जस्टिस के कहने पर मैंने कागज़ फाड़े। इस पर सीजेआई गोगोई ने कहा, स्पष्टीकरण हो गया। आप कह सकते हैं कि मेरे कहने पर ही आपने कागज फाड़े। धवन की सफाई पर जस्टिस नजीर ने कहा कि बात तो आपकी सही है, ऐसी खबर वायरल हो रही है ये हमने भी देखी है।
अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में बुधवार को सुनवाई का आखिरी दिन है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है, आज शाम पांच बजे तक मामले की सुनवाई पूरी हो जाएगी। बुधवार को सुनवाई शुरू होने के बाद अदालत में कुछ गर्मागर्मी भी देखने को मिली। हिन्दू महासभा के वकील ने राम मंदिर से जुड़ा एक नक्शा और दस्तावेज सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को सौंपे, जिसे उन्होंने अदालत में ही फाड़कर फेंक दिया। इस पर चीफ जस्टिस खफा हो गए और कहा कि ये होगा तो हम उठकर चले जाएंगे। हिन्दू महासभा के वकील ने सुनवाई के दौरान अपने पक्ष में एक किताब का हवाला देते हुए नक्शा और दस्तावेज वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को सौंपे थे, जिसे उन्होंने फाड़ दिया।
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। इस मामले की सुनवाई कर रही है। बीते 40 दिन से इस मामले की रोजाना सुनवाई हो रही है। अदालत ने 16 अक्टूबर को सुनवाई का आखिरी दिन रखा है। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि आज (16 अक्टूबर) शाम पांच बजे तक मामले की सुनवाई पूरी की जाएगी। किसी को और समय नहीं दिया जाएगा। मंगलवार को सीजेआई ने कहा था कि सभी पक्ष 16 अक्तूबर तक मामले से संबंधित दलीलें पेश कर दें। इसके बाद वो मामले पर फैसला लिखेंगे, जिसमें चार हफ्ते का समय लग सकता है।
सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन के विवाद पर सुनवाई कर रहा है। जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला का दावा है। ये मामला काफी पुराना है। 2010 में इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन को तीनो पक्षों के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। इससे नाखुशी जताते हुए तीनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे थे।
अयोध्या विवाद: हिन्दू महासभा के वकील ने दिया नक्शा और दस्तावेज, राजीव धवन ने अदालत में ही फाड़ा