3 मिनट की सुनवाई में 2019 तक के लिए टला अयोध्या का मामला
नई दिल्ली। अयोध्या विवाद पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर टल गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की नियमित सुनवाई के लिए तारीख अगले साल जनवरी में तय करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि स्पष्ट नहीं किया कि यही बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी या इसके लिए नई बेंच का गठन किया जाएगा जो पूरे मामले की सुनवाई नियमित रूप से करेगी। कोर्ट में सुनवाई से पहले बीजेपी, कांग्रेस और तमाम दलों द्वारा इसको लेकर बयानबाजी की जा रही थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने महज तीन मिनट में ही अगली सुनवाई जनवरी, 2019 तक के लिए टाल दिया। कोर्ट अब अगले साल जनवरी में इसकी नियमित सुनवाई की तारीख तय करेगा।
सीजेआई ने जनवरी से पहले केस को सुनने की दलील नहीं मानी
अयोध्या विवाद पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई रंजन गोगोई ने वकीलों से पूछा कि इसकी अगली सुनवाई कब की जाए, जिसके जवाब में हिंदू पक्षकारों ने बार-बार कहा कि इसकी अगली सुनवाई जनवरी, 2019 से पहले की जानी चाहिए लेकिन सीजेआई रंजन गोगोई ने उनकी बातों को नहीं सुना और अयोध्या मामले की अर्जेंट सुनवाई की मांग को खारिज करते हुए मामला जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरी नहीं है कि इसकी सुनवाई जनवरी में ही हो। कोर्ट ने कहा है कि इसकी सुनवाई जनवरी, फरवरी या फिर मार्च में भी हो सकती है।
महंत धर्मदास ने कहा, चुनाव को देखते हुए सुनवाई टालना गलत
इस फैसले के बाद अयोध्या के महंत धर्मदास ने निराशा व्यक्त की और कहा कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द की जानी चाहिए थी। महंत धर्मदास ने कहा कि ये ठीक बात नहीं है कि अयोध्या जैसे गंभीर मामले पर सुनवाई चुनाव को ध्यान में रखते हुए टाल दी जाए। उन्होंने कहा कि सीजेआई को सभी पक्षों की बातों को सुनना चाहिए था।
फैसले से बीजेपी खेमे में निराशा का माहौल
महंत धर्मदास ने कहा कि सीजेआई रंजन गोगोई ने 2 मिनट में फैसला कर लिया जो कि ठीक नहीं है। महंत ने कहा कि अब इंतजार के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। वहीं, विनय कटियार ने बड़ा आरोप लगाया कि कांग्रेस के दबाव में ये फैसला लिया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसपर सियासत तेज होती दिखाई दे रही है। बीजेपी के कई नेताओं ने फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है तो वहीं अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लाने को लेकर कानाफुसी भी तेज होती दिखाई दे रही है।