अयोध्या जमीन विवाद मामलाः मध्यस्थता समिति कल सौंपेगी सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट, 2 अगस्त को सुनवाई
नई दिल्ली। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में गठित मध्यस्थता पैनल के सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट कल दाखिल करेगा। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली मध्यस्थता कमेटी को 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था। लेकिन अब पैनल ये रिपोर्ट गुरुवार को सौंपेगा। रिपोर्ट देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ये तय करेगी कि इस मामले का निपटारा कैसे किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 2 अगस्त की तारीख तय की उस दिन ओपन कोर्ट में सुनवाई होगी जिसके बाद अदालत ये फैसला लेगी कि इस मामले का हल मध्यस्थता से निकाला जाएगा या रोजाना की सुनवाई से।अयोध्या मामले का हल ढूंढने के लिए चार महीने पहले जिस मध्यस्थता कमेटी का गठन किया गया था। 31 जुलाई को जब इस कमेटी के अध्यक्ष कलीफुल्ला सुप्रीम कोर्ट में अपनी फाइनल रिपोर्ट दाखिल करनी थी। तीन सदस्यों वाली इस कमेटी में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू भी शामिल हैं।
Ayodhya land dispute case: Mediation panel to submit status report in a sealed cover, tomorrow, in compliance with the Supreme Court's earlier order. A Supreme Court bench, led by Chief Justice of India, Ranjan Gogoi will hear the matter on 3rd August. pic.twitter.com/vA6C7JTsfL
— ANI (@ANI) July 31, 2019
इसी साल मार्च में बनाई गई इस कमेटी को रिपोर्ट देने के लिए पहले 8 हफ्तों का वक्त दिया गया था, फिर समय को बढ़ाकर 13 हफ्ते कर दिया गया था।वहीं वहीं सर्वोच्च अदालत में सुनवाई से पहले अयोध्या मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज इलाहाबाद हाईकोर्ट से 15 ट्रंक में भरकर सुप्रीम कोर्ट लाए गए हैं। इनमें अंग्रेजी के अलावा हिंदी, अरबी, फ़ारसी, संस्कृत, उर्दू और गुरुमुखी भाषा में लिखे कागजात भी मौजूद हैं। इसमें मुगल काल से लेकर रामायण काल तक के इन दस्तावेजों के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई करेगी।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट 2 अगस्त की सुनवाई में यह देखेगी कि इस मामले से जुड़े तमाम दस्तावेजों के अनुवाद का काम पूरा हो गया है या नहीं। इन दस्तावेजों का अनुवाद उत्तर प्रदेश सरकार ने करवाया है।अगर कोई पक्षकर इन अनुवादों को लेकर किसी तरह की कोई आपत्ति जाहिर करता है, तो ऐसे में इस मामले की सुनवाई में और देरी होने की संभवाना पैदा हो जाती है। वहीं कई राजनीतिक दल लगातार राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार पर लगातार दवाब बना रहे हैं। जिसके बाद पीएम मोदी ने कहा था कि, ये मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। अब गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में है। अब यह देखना है कि, सुप्रीम कोर्ट 2 अगस्त को सुनवाई में क्या फैसला लेती है।
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