अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 13 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार से एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई। हालांकि इस दौरान दोनों तरफ से दलीलें दी गई लेकिन मुस्लिम पक्षकारों ने अपनी पुरानी दलील को दोहराते हुए मस्जिद में नमाज को जरूरी और अभिन्न अंग बताया। इस मामलें में सुनवाई के लिए कोर्ट ने अगली तारीख 13 जुलाई तय की है। पहले भी कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों ने दलील देते हुए 1994 के इस्माइल फारूकी के मामले में आए फैसले के कुछ निष्कर्षों पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।
अयोध्या मामले में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ के सामने कहा कि मस्जिदों को मजाक के लिए नहीं बनाया गया है। वहां नमाज अदा करने सैकड़ों लोग इकट्ठे होते हैं, क्या ये इस्लाम का एक अभिन्न हिस्सा नहीं हैं? बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई अब 13 जुलाई को होगी।
इसके पहले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों की दलील थी कि इस मामले को फिर से परीक्षण के लिए संवैधानिक पीठ को भेजा जाना चाहिए। जबकि हिंदू पक्ष ने अपनी दलील देते हुए कहा था कि वो मुद्दा जमीन अधिग्रहण से संबंधित था और मौजूदा मामला टाइटल विवाद है। हिंदू पक्षकारों ने इसका विरोध किया था और कहा था कि उस फैसले का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है और इसे संवैधानिक पीठ को नहीं भेजा जाना चाहिए।
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वहीं एक बार फिर इस मामले की सुनवाई शुरू होने के साथ ही देश में सियासत तेज होने के आसार हैं। बता दें कि आए दिन बीजेपी और आरएसएस नेताओं द्वारा अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर बयान दिए जाते रहते हैं जिसको लेकर सियासत गरमा जाती है। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और अभी भी पूरे देश की निगाहें इस बहुचर्चित केस में आने वाले फैसले पर टिकी हैं। इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर की विशेष पीठ ने ये भी कहा था कि, पहले 1994 के फैसले पर विवाद को खत्म किया जाना चाहिये।
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