अयोध्या: हनुमानगढ़ी के महंत के गुरुभाई ने मस्जिद के लिए की पैतृक जमीन देने की पेशकश
नई दिल्ली- अयोध्या में हनुमानगढ़ी महंत के गुरुभाई ही मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिए अपनी जमीन देना चाहते हैं। वह इस काम के लिए अपनी पैतृक जमीन देने के लिए भी तैयार हैं, ताकि भगवान राम की नगरी से शांति और सद्भाव का संदेश पूरी दुनिया में फैल सके। वैसे राज्य सरकार और अयोध्या जिला प्रशासन की ओर से भी जमीन तलाशने का काम पूरी तेजी के साथ शुरू किया जा चुका है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक केंद्र सरकार या राज्य सरकार को अयोध्या में नई मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को एक अच्छी लोकेशन पर 5 एकड़ जमीन उपलब्ध करानी है। इस काम के लिए सरकार के पास तीन महीने का वक्त है।
मस्जिद के लिए पैतृक जमीन देना चाहते हैं महंत के गुरुभाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नागा राजनारायण दास सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अपनी पैतृक जमीन देने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने आपसी सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के लिए अपनी ओर से यह पेशकश की है। राजनारायण जिनका असल नाम ठाकुर बड़कन्नू सिंह बताया जा रहा है, हनुमानगढ़ की वसंतिया पट्टी के महंत रामभद्रदास और महंत गौरीदास के गुरुभाई हैं। उन्होंने मस्जिद के लिए 6 एकड़ की जो पैतृक जमीन देने की इच्छा जताई है, उसपर अभी आम के बाग हैं। हालांकि, मस्जिद के लिए कौन सी जमीन ली जाएगी इसका फैसला सरकार को करना है और जाहिर है कि उसमें मुस्लिम पक्ष की भी राय अहम रहेगी और इस दिशा में भी काम चल रहा है।
मस्जिद के लिए जमीन तलाशने का काम शुरू
जानकारी ये भी है कि अयोध्या जिला प्रशासन की ओर से मस्जिद के लिए उचित जगह पर उपयुक्त जमीन तलाशने का काम भी शुरू हो चुका है। जाहिर है कि सरकार को इस काम के लिए सभी तरह के पहलुओं का ध्यान रखना है। प्रशासन की ओर से जिन इलाकों में सरकारी जमीन की तलाश हो रही है उसमें से एक भरतकुंड है। जानकारी के मुताबिक एक जमीन अयोध्या-प्रयागराज मार्ग के पास भी देखी जा रही है। ये जमीन नेशनल हाइवे से तीन सौ मीटर दूर है। लोगों का मानना है कि उस इलाके में मुसलमानों की अच्छी आबादी होने के चलते इलाका मस्जिद के लिए ज्यादा उपयुक्त हो सकता है। मस्जिद के लिए जिन इलाकों में जमीन की तलाशी जारी है उनमें सोहावल सदर और बीकापुर तहसील भी शामिल हैं। हालांकि, ये सब अभी सिर्फ शुरुआती प्रस्ताव भर नजर आ रहे हैं। बता दें कि सोमवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भी सिलसिले में शिया और सुन्नी समुदायों से करीब एक घंटे तक बातचीत की थी।
अंसारी ने रखी जमीन के लिए ये मांग
मस्जिद की जमीन को लेकर अब कुछ मांगें भी सामने आनी शुरू हो गई हैं। इसमें राम जन्मभूमि विवाद में मुख्य वादी रहे इकबाल अंसारी भी शामिल हो गए हैं। अंसारी और कुछ दूसरे मुस्लिम नेताओं ने यह मांग सामने रखी है कि मस्जिद के लिए जन्मभूमि की उसी 67 एकड़ में से जमीन दी जाए, जिसका सरकार ने 1991 में अधिग्रहण किया था। अंसारी ने अब कहना शुरू किया है कि अगर 67 एकड़ में से जमीन नहीं मिलेगी तो उसकी कोई जरूरत नहीं रह जाएगी, क्योंकि लोग कह रहे हैं कि यह जमीन 14 कोसी परिक्रमा से बाहर दी जानी चाहिए, जो की सही नहीं है।
मस्जिद के लिए जमीन लेने पर मुसलमानों में एक राय नहीं
मस्जिद के लिए जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मिलनी है। लेकिन, वक्फ के अंदर में भी इसको लेकर आम राय नहीं बन पा रही है। कुछ इसपर शिक्षण संस्थान बनाने की वकालत कर रहे हैं तो कहीं से अस्पताल बनवाने तक की सलाह मिल रही है। उधर एआईएमएआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पहले दिन ही असंतोष जता चुके हैं। ओवैसी का कहना है कि मुसलमानों को मस्जिद के लिए खैरात में जमीन नहीं चाहिए। हालांकि, यह फैसला आखिरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही करना है कि सरकार से मिलने वाली जमीन का क्या करे? या फिर ले भी या न ले।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
9 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय खंडपीठ ने जो फैसला सुनाया है, उसके तहत बाबरी मस्जिद के बदले सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में किसी महत्वपूर्ण जगह पर मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन दी जानी है। अदालत ने यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी है और उसे फैसले के तीन महीने के भीतर सरकारी जमीन उपलब्ध कराना है।