अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में रखी गई गीता-रामायण, अदालत ने मांगे अनुवाद के अंश
नई दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी की जमीन के विवाद पर सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षों ने दस्तावेज जमा किए। हांलाकि सुनवाई नहीं हो पाई और कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 मार्च की तारीख दे दी। चीफ जस्टिस न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को कहा था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और उसने पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने को कहा था।
ये जमीन विवाद का मामला: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को बहुप्रतीक्षित राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई शुरू हुई तो हिंदुओं के पवित्र धर्मग्रंथ गीता और रामायण को भी सामने रखा गया। तीन जजों की बेंच ने साफ कर दिया कि अदालत में कोई भावनात्मक दलीलें न रखी जाएं। कोर्ट ने साफ किया कि ये जमीन के विवाद का मामला है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्य के तौर पर गीता और वाल्मिकी रामायण के कुछ अंश का अंग्रेजी में अनुवाद करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के सामने कुल 42 किताबों को रखा गया है।
हाईकोर्ट के बाद की गई थी सुप्रीम कोर्ट में अपील
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाइ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में अयोध्या की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटते हुए इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बांटने की बात कही थी. इसके बाद हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दूसरी तरफ सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
कोर्ट के बाहर भी हुई मामले को खत्म करने की कोशिश
इस विवाद को सुलझाने की कोशिशें कोर्ट के बाहर भी होती रही हैं, हालांकि इससे कोई हल नहीं निकल पाया है। अयोध्या रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास का कहना है कि अयोध्या मसले का हल होने से आपसी विवाद खत्म होगा। वहीं मामले की सुनवाई से पहले बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि अब सुलह की संभावना अब नहीं दिखती है।
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