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अयोध्‍या विवाद: मुस्लिम पक्ष की दलील- लोगों के भरोसे से तय नहीं होता कि अयोध्या में मंदिर था

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्‍मभूमि विवाद मामले पर 30वें दिन सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि महज विश्वास के आधार पर यह स्पष्ट नहीं होता कि अयोध्या में मंदिर था। भारत में यह फैलाना आसान है कि किसी देवता का अमुक स्थान है। बता दें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।

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बता दें हैं। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्‍सीय संवैधानिक पीठ इस मामले की में जल्‍द जल्द से सुनवाई पूरी करके ऐतिहासिक फैसला सुनाने का प्रयास कर रही हैं। इसीलिए आज 30वें दिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शाम पांच बजे तक सुनवाई की और बुधवार और शुक्रवार को भी शाम 5 बजे तक सुनवाई करेगी।

30 वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद द्वारा दाखिल याचिका पर कहा,''विशारद कहते हैं कि हिंदू 1950 से पहले से पूजा कर रहे थे, लेकिन मुस्लिम पक्ष की शिकायत पर तत्कालीन डीएम केके नायर ने पूजा करने से रोक दिया था। मैं मानता हूं कि भारत में पूजा की कई मान्यताएं हैं। कामाख्या समेत देवी सती के अंग जहां गिरे, वहां मंदिर हैं।''इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि ऐसा मंदिर पाकिस्तान में भी है।

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धवन ने कहा कि अयोध्या में रेलिंग के पास जाकर पूजा किए जाने से उसे मंदिर नहीं मानना चाहिए। धवन ने दलील दी कि गलत तरीके से राम की प्रतिमा रखी गयी। उन्‍होंने गर्भ गृह के भीतर कभी पूजा नहीं होने का दिया हवाला भी दिया बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर माना अयोध्या में रामजन्म को लेकर विवाद नहीं, सिर्फ जन्मस्थान को लेकर है।

बता दें कि 29वें दिन की सुनवाई में सोमवार को राजीव धवन ने कहा था कि हम राम का सम्मान करते हैं। जन्मस्थान का भी सम्मान करते हैं। इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा तो देश खत्म हो जाएगा। विवाद तो राम के जन्मस्थान को लेकर है कि वह कहां है? पूरी विवादित जमीन जन्मस्थान नहीं हो सकती। जैसा कि हिंदू पक्ष दावा करते हैं, कुछ तो निश्चित स्थान होगा। पूरा क्षेत्र जन्मस्थान नहीं हो सकता।

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बाबरी मस्जिद में 1949 तक नमाज हुई

धवन ने दलील दी थी कि 1528 में मस्जिद बनाई गई थी और 22 दिसंबर 1949 तक वहां लगातार नमाज हुई। वहां तब तक अंदर कोई मूर्ति नहीं थी। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों के फैसलों के हवाले से मुस्लिम पक्ष के कब्जे की बात कही। उन्होंने कहा था कि बाहरी अहाते पर ही उनका अधिकार था। दोनों पक्षकारों के पास 1885 से पुराने राजस्व रिकॉर्ड भी नहीं हैं।

18 अक्टूबर तक दलीलें रखी जाएंगी

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में संविधान पीठ के सामने अब तक हिंदू और मुस्लिम पक्ष के साथ निर्मोही अखाड़े की तरफ से दलीलें पेश की जा चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला नवंबर मध्य में आने की उम्मीद है। 18 सितंबर को चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम 18 अक्टूबर तक सुनवाई खत्म करना चाहते हैं ताकि जजों को फैसला लिखने में चार हफ्ते का वक्त मिले। इसके लिए सभी को मिलकर सहयोग करना चाहिए।

इलाहाबाद एचसी ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था

2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

इसे भी पढ़े साक्षी महाराज का दावा- 6 दिसंबर से शुरु हो जाएगा राम मंदिर का निर्माण

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English summary
Ayodhya Dispute:Muslim side said-Trusting People does not Determine that there was a Temple in Ayodhya.
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