तोहफे में नहीं देंगे जमीन, बाबरी मस्जिद के लिए लड़ते रहेंगे: मुस्लिम लॉ बोर्ड
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि बाबरी मस्जिद के लिए वो कोर्ट में लड़ रहे हैं और लड़ते रहेंगे। बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि कोर्ट मे लड़कर मस्जिद के लिए जमीन हासिल करने की कोशिशें करते रहेंगे, ना कि कोर्ट के बाहर समझौता कर जमीन को दूसरे पक्ष को तोहफे में दे देंगे। बोर्ड की ओर से कहा गया है कि एक बार मस्जिद बन गई तो हमेशा रहेगी। इससे पहले बोर्ड की तरफ से कहा जा चुका है कि उनको देश के सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है, वो कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं और जो भी फैसला होगा, उसे मानेंगे।
मुस्लिम बोर्ड की ओर से कही गईं ये बड़ी बातें
बोर्ड की ओर से कहा गया है कि बाबरी मस्जिद की जमीन को मुसलमान ना छोड़ेंगे और न ही उसकी जमीन को बदलेंगे। मस्जिद की जमीन को तोहफे में भी नहीं दिया जाएगा। बाबरी मस्जिद, एक मस्जिद है और ये हमेशा यही रहेगी। इसे खत्म करने से हमारी पहचान खत्म नहीं होती। बाबरी मस्जिद दोबारा बनाने की लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट में ताकत से लड़ेंगे।
कोर्ट के बाहर होती रही हैं मामले को हल करने की कोशिश
इस विवाद को सुलझाने की कोशिशें कोर्ट के बाहर भी होती रही हैं, हालांकि इससे कोई हल नहीं निकल पाया है। हाल ही में अयोध्या रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास ने कहा था कि अयोध्या मसले का हल होने से आपसी विवाद खत्म होगा। वहीं बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि अब सुलह की संभावना अब नहीं दिखती है और कोर्ट से ही मामले का हल निकलेगा।
14 मार्च को है सुनवाई
अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी की जमीन के विवाद पर 9 फरवरी को सुनवाई थी। सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षों ने दस्तावेज जमा किए। हांलाकि सुनवाई नहीं हो पाई और कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 मार्च की तारीख दे दी। चीफ जस्टिस न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। तीन जजों की बेंच ने साफ कर दिया कि अदालत में कोई भावनात्मक दलीलें न रखी जाएं। कोर्ट ने साफ किया कि ये जमीन के विवाद का मामला है और कोर्ट इसे जमीन विवाद के तौर पर ही देखेगा।
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