अयोध्या विवाद पर मोदी सरकार का बड़ा कदम, सुप्रीम कोर्ट से की विवादित जमीन छोड़कर बाकी लौटाने की मांग
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नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनावों से पहले अयोध्या विवाद पर केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की है कि विवादित जमीन के अलावा बाकी जमीन लौटाई जाए। केंद्र सरकार ने कहा कि विवाद 0.313 एकड़ जमीन पर है, इसलिए विवादित जमीन को छोड़कर बाकी जमीन को लौटाया जाए और इसपर जारी यथास्थिति हटाई जाए।
विवादित जमीन के अलावा बाकी हिस्सा लौटाने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। जमीन का विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ का है और बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है। लिहाजा बाकी जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास को लौटाया जाए। बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई होनी थी लेकिन जस्टिस बोबडे के मौजूद ना रहने के कारण इस केस की सुनवाई को टाल दिया गया है।
जमीन पर जारी यथास्थिति हटाने की मांग भी की
साल 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण एक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था, इसके अलावा पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं को समाप्त कर दिया था। सरकार के इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और अदालत ने साल 1994 में तमाम दावेदारी वाले सूट को बहाल करने के अलावा जमीन को केंद्र के पास ही रखने को कहा था। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जमीन पर यथास्थिति बनी रहेगी और जिसके पक्ष में फैसला आएगा, जमीन उसे सौंप दी जाएगी।
अयोध्या विवाद पर जारी है सियासत
इसके पहले, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राम मंदिर को लेकर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हमारा कमिटमेंट है, इसे हम जरूर पूरा करेंगे। भाजपा पर संत-साधु से लेकर सहयोगी और आरएसएस तक राम मंदिर बनाने का दबाव डाल रहे हैं। इसके अलावा मंदिर बनाने के लिए विधेयक लाने की मांग उठ चुकी है। वहीं, पीएम मोदी ने भी अयोध्या विवाद पर कहा था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी, इसके बाद ही अध्यादेश लाने पर विचार किया जाएगा।
साधू-संतों ने सरकार से जताई थी नाराजगी
अयोध्या विवाद पर बार-बार सुनवाई टलने के कारण साधू-संत भी नाराज हैं। उन्होंने केंद्र और यूपी सरकार पर भी इस मामले को गंभीरता से ना लेने का आरोप लगाया है। प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा था कि कुंभ मेले की समाप्ति के बाद हमने फैसला किया है कि सभी संत अयोध्या में एकजुट होंगे और राम मंदिर निर्माण शुरू होगा। गिरी ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण में बीजेपी दिलचस्पी नहीं ले रही है, क्योंकि वो इस मुद्दे को चुनाव के लिए जिंदा रखना चाहती है।