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अयोध्या केस: फैसला आने से पहले CJI रंजन गोगोई हुए रिटायर, तो जानिए क्या होगा?

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार से अयोध्या केस की अंतिम दौर की सुनवाई शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर 38 वें दिन सुनवाई कर रही है। देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जस्टिस की पीठ ने 6 अगस्त से रोजाना इसकी सुनवाई शुरू की थी। इससे पहले कोर्ट ने सौहार्दपूर्ण हल निकालने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की थी, जो विफल हो गई। वहीं इस मामवे में सुनवाई को देखते हुअ अयोध्या में धारा 144 लागू कर दी गई है।

रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले फैसला ना आने पर..

रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले फैसला ना आने पर..

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने 18 अक्टूबर तक अयोध्या मामले की सुनवाई खत्म करने की अस्थाई समयसीमा तय की है। ऐसे में कोर्ट अंतिम दौर की सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय लेगा। सीजेआई रंजन गोगोई आगामी 17 नवंबर को रिटायर हो रहे है। ऐसे में उनके रिटायरमेंट होने से पहले फैसला ना आने पर इसमें पेंच फंस जाएगा।

क्या होता है नियम?

क्या होता है नियम?

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक की परपंरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की जो पीठ मामले की सुनवाई करती है, वो ही फैसला सुनाती है। यदि एक जस्टिस मामले के फैसला आने से पहला रिटायर होता है, तो मामले की सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन होता है और मामले की फिर से सुनवाई होती है। सुप्रीम कोर्ट के वकील अतुल कुमार ने कहा कि क्योंकि सीजेआई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे है, ऐसे में अंतिम समयसीमा तय करना सही है। उन्होंने चीफ जस्टिस द्वारा तय की गई समयसीमा की व्यावहारिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि कोर्ट में इस केस के अलावा कुछ अन्य संवैधानिक मामलों पर भी विचार होना है, जिसमें नया भूमि अधिग्रहण कानून भी है। सीजेऐआई को इसके लिए भी समय चाहिए।

मध्यस्थता पैनल का भी किया गठन

मध्यस्थता पैनल का भी किया गठन

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफएम इब्राहिम खलीफुल्लाह की अध्यक्षता में एक मध्यस्थता पैनल का गठन किया, जिसमें आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू सदस्य के रूप में शामिल थे। पैनल को अपनी रिपोर्ट देने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया गया था। हालांकि, अगस्त की शुरुआत में एक रिपोर्ट ने मध्यस्थता के प्रयासों की विफलता का संकेत दिया। इसके चलते 6 अगस्त से अयोध्या मामले की दिन-प्रतिदिन सुनवाई शुरू हो गई। कुमार ने कहा कि अगर अगर केस में शामिल जज, जो कि रिटायर होने वाला होता है, और वो फैसला नहीं सुना पाता है, तो ऐसी खराब परिस्थितियों में नई संविधान पीठ के समय नए तरीके से दलीले रखी जाएंगी, ये समय की बर्बादी है।

ये भी पढ़ें- नवंबर में रिटायर हो रहे हैं CJI रंजन गोगोई, अयोध्या-सबरीमाला केस में बढ़ी फैसले की उम्मीद

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English summary
Ayodhya Case: What if case hearing is not decided before CJI Ranjan Gogoi retires
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