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अयोध्या केस: जानिए क्या है और कब से चल रहा है ये विवाद, अब तक क्या-क्या हुआ
नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले की जल्द सुनवाई की मांग करने वाली याचिका पर पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मध्यस्थता पैनल से रिपोर्ट मांगी है। सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए पैनल से 18 जुलाई तक रिपोर्ट सैंपने के लिए कहा है। मामले में अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी। हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने विशारद की अर्जी पर विचार किया। पीठ ने इस दौरान कहा कि हमने मामले में मध्यस्थता के लिए पैनल बनाई है और इसकी 11 बैठकें हो चुकी हैं। तो आइए आपको तारीखों में बताते हैं कब से चल रहा है ये विवाद अब कब-कब क्या-क्या हुआ है इसमें
- अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण साल 1528 में किया गया।
- 23 दिसंबर, 1949: करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।
- 16 जनवरी, 1950: गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी। उन्होंने वहां से मूर्ति हटाने पर न्यायिक रोक की भी मांग की।
- 5 दिसंबर, 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को 'ढांचा' नाम दिया गया।
- 17 दिसंबर, 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
- 18 दिसंबर, 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
- 1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। एक समिति का गठन किया गया।
- 1 फरवरी, 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।
- जून 1989: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया।
- 1990 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने देशव्यापी रथयात्रा की शुरुआत की।
- 1991 में इसी रथयात्रा की लहर से भाजपा ने यूपी में विधानसभा चुनाव जीता। मंदिर निर्माण के लिए देशभर से इंटें भेजी गई।
- 6 दिसंबर, 1992 का वो दिन, जब अयोध्या पहुंचकर हजारों की संख्या में कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया। बाबरी विध्वंस के बाद देशभर में दंगे हुए।
- प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया।
- 16 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए एमएस लिब्रहान आयोग का गठन किया गया।
- 1994 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस की सुनवाई शुरू हुई।
- 4 मई, 2001 को स्पेशल जज एसके शुक्ला द्वारा भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 13 नेता आरोप मुक्त किए गए।
- 1 अप्रैल 2002 को अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
- मंदिर या मस्जिद के प्रमाण के लिए 5 मार्च 2003 को इलाहबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अयोध्या में खुदाई का निर्देश दिया।
- 22 अगस्त, 2003 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई के बाद इलाहबाद हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि मस्जिद के नीचे 10वीं सदी के मंदिर के अवशेष प्रमाण मिले हैं। हालांकि, इस रिपोर्ट को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चुनौती दी।
- सितंबर 2003 में अदालत ने फैसला देते हुए कहा कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।
- जुलाई 2009 में लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- 26 जुलाई, 2010 को इस मामले की सुनवाई कर रही इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा और सभी पक्षों को आपस में इसका हल निकाले की सलाह दी।
- 28 सितंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाईकोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
- 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का तीन हिस्सों में बंटवारा कर दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला।
- 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
- 21 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने को कहा।
- 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित भाजपा और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।
- 16 नवंबर 2017 को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और कई पक्षों से मुलाकात की।
- 5 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 8 फरवरी तक सभी दस्तावेजों को पूरा करने के लिए कहा।
- 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। हालांकि, उनकी याचिका खारिज हो गई।
- 14 मार्च 2018 को वकील राजीव धवन ने कोर्ट से साल 1994 के इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के फैसले को पुर्नविचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग की।
- 20 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव धवन की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा।
- 27 सितंबर 2018 को कोर्ट ने इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के 1994 का फैसले को बड़ी बेंच के पास भेजने से इनकार कर दिया और कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा।
ये हैं विवाद के मुख्य पैरोकार
- महंत दिनेन्द्र दास
- महंत धर्मदास
- किशोर कुणाल
- हाजी महबूब
- इकबाल अंसारी
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English summary
Ayodhya case: Timeline of the Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute.
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