अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने की 'सेटलमेंट' की पुष्टि, जानिए क्या कहा
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नई दिल्ली। राजनीतिक रूप से संवदेनशील अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बीच एक और खबर आई कि संविधान पीठ के सामने कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल ने 'समझौते' का एक नया प्रस्ताव पेश किया है, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने भी इसकी पुष्टि की है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने की पुष्टि
बुधवार को मीडिया में खबरें आईं थी कि अयोध्या भूमि विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थता पैनल ने एक सील बंद रिपोर्ट दी थी, जिसके बारे में कहा जा रहा था कि ये कुछ हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच सेटलमेंट था। इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील शाहिद रिजवी ने कहा, 'अगर आप उन कामों को करना चाहते हैं, जो कभी नहीं कर सकते हैं तो आप उसे आखिरी वक्त में भी कर सकते हैं। कोर्ट के बाहर, मध्यस्थता पैनल के सामने दोनों पक्षों ने अपनी राय रखी है और कुछ शर्तों पर एक मत हैं, इनका खुलासा मैं नहीं कर सकता।'
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कुछ कामों को आप अंतिम वक्त में भी कर सकते हैं- शाहिद रिजवी
वहीं, मध्यस्थता पैनल के करीबी सूत्रों के मुताबिक, इसमें विश्व हिंदू परिषद के नियंत्रण वाले रामजन्मभूमि न्यास, रामलला और छह अन्य मुस्लिम पक्षों, जिन्होंने अपील दायर की थी, वे इस समझौते में शामिल नहीं हैं। इस समझौते में हिंदू अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरूद्धार समिति, हिंदू महासभा और निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहंत राजेंद्रदास शामिल हैं। जबकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा है सुरक्षित
इस सेटलमेंट में मुस्लिम पक्ष ने राम मंदिर को उचित स्थान देने के बदले कुछ शर्तें रखी हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसमें कहा गया है कि मस्जिद भूमि को सरकार की तरफ से अधिग्रहण किए जाने पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को कोई ऐतराज नहीं है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसके बदले में एएसआई के मस्जिद को नमाज के लिए फिर से खोले जाने की मांग की है। साथ ही अयोध्या मस्जिद और सुन्नी वक्फ बोर्ड की वैकल्पिक मस्जिद की मरम्मत की मांग भी की गई है।