अयोध्या केस: निर्मोही अखाड़े ने कहा- अब सुनवाई 'टी-20' जैसी हो गई तो सुप्रीम कोर्ट ने लगाई लताड़
नई दिल्ली: अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद करो लेकर 30 वें दिन सुनवाई हुई। कोर्ट में निर्मोही अखाड़े की तरफ से सुशील जैन के कहा कि अब सुनवाई T-20 जैसी हो गई है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आपको हमने साढ़े चार दिन दिए। यहां आपको जवाब देना है तो अब आप इसे 20-20 कह रहे हैं? तो क्या पिछली बहस टेस्ट मैच थी?
निर्मोही अखाड़े ने क्या कहा?
सुशील जैन ने कहा कि हमारा दावा आंतरिक अहाते को लेकर है, क्योंकि बाहर तो हमारा अधिकार और कब्ज़ा था ही। हमने बाहर के पजेशन के लिए याचिकी नहीं लगाई है क्योंकि वह तो पहले से ही हमारे पास था। अखाड़े के जवाब शुरू होने से पहले ही मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि जवाब में मेरा नाम गलत लिखा हुआ है। इस पर सुशील जैन ने कहा कि मेरी दलीलें और जवाब थोड़े पेचीदा हैं। इस पर जस्टिस नजीर ने हंसते हुए कहा कि आप चिंता ना करें आप हारते भी हैं तो आप जीतने वालों की तरफ ही होंगे।
हिंदू पक्षकार ने क्या दलील दी?
हिंदू पक्षकार श्री राम जन्मस्थान पुनरुत्थान समिति के पीए मिश्रा ने जवाब देते हुए भूमि की शास्त्रीय व्याख्या की। उन्होंने कहा कि इमारत भी भूमि की श्रेणी में आती है. लेकिन स्थान का मतलब देवता का भवन या धाम भी होता है। इस पर राजीव धवन ने कहा कि इस दलील का कोई मतलब नहीं क्योंकि भूमि की हिन्दू व्याख्या और शब्दकोश अलग है और मुस्लिम शब्दकोश अलग। भूमि के देवता होने की सात मौलिक शर्तों और व्याख्या पर मिश्रा के ताजा दस्तावेज कोर्ट ने खारिज कर दिए।
'नई-नई चीजें बताने का समय नहीं'
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यह पहली अपील है। हम यहां सिर्फ टाइटल सूट को सुनने बैठे हैं, अब नई-नई चीजें बताने का समय नहीं है। कोर्ट ने मिश्रा को बैठने को कहा और निर्मोही अखाड़े के सुशील जैन से अपना जवाब देने को कहा। इससे पहले हिंदू पक्षकार की तरफ से नरसिंहन ने स्कन्दपुराण के अयोध्या महात्यम के श्लोक का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम जन्म स्थान की यात्रा मोक्षदाई हैष मोक्ष हिन्दू दर्शन के चार पुरुषार्थों में से आखिरी है, यह अकेली जगह नहीं जहां मंदिर के साथ मस्जिद बनाई गई है।
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