अयोध्या केस: शिया धर्मगुरु कल्बे सादिक का बड़ा बयान, बोले- दिल जीतने के लिए विवादित जमीन हिंदुओं को सौंप दें मुसलमान
नई दिल्ली। बहुचर्चित अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब इस केस के फैसले पर सभी की नजरें जमीं हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले इस मुद्दे पर बयानों का सिलसिला जारी है। इसी विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का बड़ा बयान आया है।
मुसलमान अयोध्या की विवादित जमीन हिंदुओं को दे दें- डॉ. कल्बे सादिक
अयोध्या की विवादित भूमि पर मालिकाना हक को लेकर आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले, कल्बे सादिक ने कहा कि करोड़ों हिंदू भाइयों का दिल जीतने के लिए मुसलमान अयोध्या की विवादित जमीन हिंदुओं को दे दें। हालांकि, कल्बे सादिक ने इसे अपना निजी बयान बताया। बता दें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद के पक्षकारों की पैरोकारी करता रहा है, ऐसे में उनके बयान पर सियासत गरमा सकती है।
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले राम मंदिर मुद्दे पर क्या बोले भाजपा नेता कल्याण सिंह
जीतने कि लिए हमेशा कुछ हासिल करना ही जरूरी नहीं- शिया धर्मगुरु
उन्होंने कहा कि इस्लामी इतिहास में किसी भी समस्या का हल भावनाओं के आधार पर नहीं किया गया है। ये सर्वविदित है कि पैगंबर मोहम्मद साहब के जमाने से हर समस्या का हल मौजूदा हालात के मद्देनजर किया जाता रहा है। कल्बे सादिक ने कहा कि जीतने कि लिए हमेशा कुछ हासिल करना ही जरूरी नहीं, कभी-कभी कुछ देकर भी जीता जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि मंदिर के पक्ष में फैसला आने पर वे इसे खामोशी से स्वीकार करें और हिंदुओं को बधाई दें।
मंदिर के पक्ष में फैसला आने पर मुसलमान इसे स्वीकार करें- कल्बे सादिक
अगर मुसलमानों को जीत मिलती है तो भी वे मस्जिद की जमीन खुशी-खुशी हिंदुओं को सौंप दें। मौलाना ने कहा कि ऐसा करके मुसलमान करोड़ों दिल जीत सकते हैं। मौलाना कल्बे सादिक विश्व के प्रमुख इस्लामी विद्वानों में गिने जाते हैं और वह इन दिनों अस्वस्थ हैं। लखनऊ के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले में अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता की कोशिश नाकाम होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई थी।