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अयोध्‍या केस: देश में शांति बनाए रखने के लिए हिंदू-मुस्लिम पक्ष हैं एकमत

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बेंगलुरु। अयोध्‍या राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब जल्‍द आने वाला है। फैसले के बाद अयोध्‍या समेत पूरे देश में हालात दुरुस्‍त रहे इसके लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है। अयोध्‍या में धारा 144 लागू कर दी गयी है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी किया है। इसके मद्देनजर अयोध्या में चप्पे-चप्पे पर आरएएफ व अन्य पैरामिलिट्री फोर्स मुस्तैद है। केन्‍द्र और राज्य सरकारों द्वारा पूरी एहतियात बरती जा रही है। वहीं फैसला आने पर देश में अमन शांति बनी रहे इसके लिए हिंदू और मुस्लिम पक्ष भी पूरी कोशिश कर रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम धर्मगुरु भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। देशहित में किए जा रहे हिंदू और मुस्लिम पक्ष द्वारा किए जा रहे ये संयुक्त प्रयास गंगा जमुनी तहजीब का एक उदाहरण पेश कर रहा है।

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बता दें सुप्रीम कोर्ट में40 दिनों तक अयोध्‍या राम मंदिर केस की लगातार सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता में पांच सदस्‍सीय कोर्ट की पीठ ने इसकी सुनवाई की।

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गौरतलब हैं कि जब 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी तो पूरे देश में हिंसा फैली थी। इसलिए सरकार को पता है कि शरारती तत्व फिर से देश भर में हिंसा फैलाने की कोशिश कर सकते हैं। कोई अनहोनी न हो इसके लिए पुलिस काफी सतर्क हैं उसने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए हैं। वहीं हिंदू और मुस्लिम पक्ष भी अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। सभी की कोशिश यही है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश आए, उसे माना जाए और शांति व्यवस्था बनाए रखी जाए। हिंदू और मुस्लिम संगठन देश में शांति बनाए रखने के लिए एकजुट होकर प्रयास कर रहें हैं।

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कुछ दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर आरएसएस और मुस्लिम पक्ष के नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में शामिल लोग इस बात पर सहमत हुए कि फैसला चाहे कुछ भी आए, सभी पक्ष शांति व्यवस्था बनाए रखेंगे। हर पक्ष ये ही चाहता है कि इसे लेकर कोई जश्न, प्रदर्शन या बवाल ना हो। इसलिए अभी से बयानबाजी पर भी रोक लगा दी है। इस बैठक में जमीअत उलमा के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी, मुफ्ती मुकर्रम, प्रोफेसर अख्तरुल, कमाल फारूकी, मौलाना मोहसीन तकावी, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष अब्दुल राशिद मौजूद रहे। बैठक में संघ की ओर से कृष्ण गोपाल और आरएसएस के राम लाल भी शामिल थे।

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राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले विश्‍व हिंदू परिषद विहिप बहुत ही सतर्क है। उसने अपने नेताओं से राम मंदिर के मामले में अनर्गल बयानबाजी न करने की सलाह दी है। लगातार विहिप संत समाज से संपर्क में है शांति कायम रहे इस पर उनसे चर्चा कर रहा है। बता दें विहिप ने इसके अवध प्रांत में होने वाले त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम को पहले ही रोक दिया हैं। इतना ही नही हित चिंतक अभियान में भी विराम लगा दिया है। इसके तहत नए सदस्‍य बनाए जाते थे।

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अयोध्या में मंदिर और मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जो भी आए, लेकिन देश में आपसी भाई चारा बना रहे इस मकसद से सूरत में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया। सूरत कपड़ा मार्केट इलाक़े में आयोजित इस हस्ताक्षर अभियान में सभी धर्मों के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
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आरएसएस ने आरएसएस और भाजपा तक में सभी सदस्यों से अपील की जा रही है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करें और किसी तरह की बयानबाजी ना करें। आरएसएस इसके संबंध में अब तक कई बैठक भी कर रहा है। संघ के सभी प्रांतों के प्रांत प्रचारक और अन्‍य पदाधिकारी अपने अपने स्‍तर पर इससे संबंधित बैठक कर रहे हैं। इतना ही नहीं संघ ने मुस्लिम राष्‍ट्रीय मंच को विशेष रुप से जिम्मेदारी सौंपी है, जिससे मुस्लिम समुदाय के प्रभावी चेहरों से संवाद स्‍थापित करके अमन और शांति कायम रखने की लोगों से अपील करने को कहा गया है।

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मुख्‍तारअब्बास नकवी के घर हुई बैठक में मुस्लिम हिंदू की संयुक्त बैठक के बाद शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्यद कल्बे ने मुस्लिम समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा- 'अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कुछ भी फैसला हो, हम सभी को इसका सम्मान करना चाहिए। ऑल इंडिया सूफी सज्जादनशीं काउंसिल के चेयरमैन सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि हर धर्म के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि वह सभी दरगाहों से अपील करते हैं कि वह लोगों से अफवाहों और फेक न्यूज से बचने को कहें।

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जरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह की देख रेख करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का 20 लोगों का जत्था पूरे देश में शांति की अपील के लिए निकला है। ये मुस्लिम धर्मगुरु देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर शांति की अपील कर रहे हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा के घर में हुई बैठक में निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के सज्जादनशीं उपस्थित थे। ऐसे ही बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इरफान अहमद पश्चिम यूपी में मुस्लिम समुदाय के बीच बैठक कर लगातार अमन का पैगाम दे रहे हैं।

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31 अक्टूबर को ही मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा था कि अयोध्या मसले के फैसले से पहले जुमे की नमाज में मस्जिदों में आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की जाएगी। उन्होंने ये भी कहा था कि मौलाना अपील करेंगे कि कोर्ट से चाहे जो भी फैसला आए समाज में अमन-चैन बना रहे। उन्होंने कहा कि किसी भी शख्स को घबराने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबको भरोसा होना चाहिए। किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात कोई भी ना करे। राजस्थान में भी अजमेर के दरगाह शरीफ से अमन चैन का संदेश जारी किया गया

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने केन्‍द्रीय मंत्रियों से अयोध्‍या पर फैसले के मद्देनजर बयानबाजी से बचने की अपील की। मन की बात कार्यक्रम में भी उन्‍होंने 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए निर्णय के समय परिस्थ्तियों को याद किया था। उन्‍होंने बताया कि कैसे एकजुट अवाज से देश को मजबूती मिलती है।

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वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि वह अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले अपने प्रभार वाले जिलों में जाएं और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बैठक करें। साथ ही सभी मंत्रियों को ये सख्त आदेश दिए गए हैं कि वह अयोध्या केस में किसी भी तरह की बयानबाजी ना करें। इतना ही नहीं बासपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया के माध्‍यम संदेश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के अयोध्‍या फैसले को लेकर जनमानस में बेचैनी व विभिन्‍न आशंकाएं हैं। ऐसे में समस्‍त देशवासियों से विशेष अपील है कि वे कोर्ट के फैसले का हर हाल में सम्मान करें ये देशहित व जनहित में सर्वोत्‍तम उपाय है।

इसे भी पढ़े- अयोध्या केस: CJI रंजन गोगोई ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को किया तलब

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English summary
After the Supreme Court's verdict on the Ayodhya Ram temple, the Hindu Muslim parties are trying unitedly to maintain peace in the country. Politicians, religious leaders, religious organizations are all united on this. What are they trying, what is the similarity in their efforts
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