क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अयोध्या मामलाः अंतिम चरण में सुनवाई, सात बड़े सवाल

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई इस हफ़्ते अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रही है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ 6 अगस्त से लगातार इस मामले की सुनवाई कर रही है. 17 अक्तूबर को सुवाई पूरी हो जाएगी. ऐसी संभावना है कि इसके लगभग एक महीने बाद इस मामले में कोई महत्वपूर्ण फ़ैसला आ सकता है.

By टीम बीबीसी, नई दिल्ली
Google Oneindia News
सुप्रीम कोर्ट
Getty Images
सुप्रीम कोर्ट

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई इस हफ़्ते अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रही है.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ 6 अगस्त से लगातार इस मामले की सुनवाई कर रही है.

17 अक्तूबर को सुवाई पूरी हो जाएगी. ऐसी संभावना है कि इसके लगभग एक महीने बाद इस मामले में कोई महत्वपूर्ण फ़ैसला आ सकता है.

आइए समझते हैं कि पूरा मामला क्या है और कैसे ये मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंचा.

1 - फैसला कब आएगा?

माना जा रहा है कि अयोध्या भूमि विवाद पर चार से 15 नवंबर के बीच सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ जाएगा.

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच रोज़ाना कर रही है.

जस्टिस गोगोई 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

अगर मुख्य न्यायाधीश 17 नवंबर तक अयोध्या मामले पर फैसला नहीं देते हैं तो फिर इस मामले की सुनवाई नए सिरे से एक नई बेंच के सामने होगी.

हालांकि इसकी संभावना कम ही दिखाई दे रही है.

पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केसी कौशिक ने बीबीसी को बताया, "ज़्यादा संभावना ये है कि इस मामले पर 4 से 15 नवंबर के बीच फ़ैसला आ जाए क्योंकि 17 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश गोगोई सेवानिवृत्त हो रहे हैं. चूंकि 17 नवंबर को रविवार है इसलिए उम्मीद है कि बहुप्रतीक्षित फैसला चार से 15 नवंबर के बीच आ सकता है."

बाबरी मस्जिद
Getty Images
बाबरी मस्जिद

2 - अयोध्या ज़मीन विवाद क्या है?

ये विवाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में ज़मीन के एक टुकड़े से संबंधित है.

हिंदुओं की धारणा के अनुसार ये हिंदू देवता राम का जन्मस्थान है. मगर इसी टुकड़े पर बाबरी मस्जिद भी मौजूद है.

मामले में ये तय किया जाना है कि क्या पहले वहाँ कोई हिंदू मंदिर था जिसे तोड़कर या संरचना बदल कर उसे मस्जिद का रूप दिया गया था.

छह दिसम्बर 1992 के बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था. इसके बाद ज़मीन पर स्वामित्व विवाद से संबंधित एक मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर किया गया.

इस मामले में हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितम्बर 2010 को 2.77 एकड़ की ज़मीन पर अपना फैसला सुनाया.

फ़ैसले के अनुसार ज़मीन एक तिहाई हिस्सा राम लला को जाएगा जिसका प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा कर रही है, दूसरा एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को और बाकी एक तिहाई निर्मोही अखाड़ा को दिया जाएगा.

THINKSTOCK

3 - फ़ैसले के दिन क्या हो सकता है?

ज़मीन किसकी है और कौन हिस्सा किस पक्ष का है, इस बात का फैसला पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ करेगी.

हो सकता है कि सर्वोच्च अदालत इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को ही बरक़रार रखे और ये भी हो सकता है कि वो इस ज़मीन को अलग अलग बांट दे.

पांचों जज उस दिन अपने फ़ैसले को एक एक कर पढ़ेंगे. मुमकिन है कि चीफ़ जस्टिस इसकी शुरुआत करेंगे.

कौशिक ने बीबीसी से कहा, "पूरी संभावना है कि फैसले के दिन अदालत में भारी गहमागहमी रहेगी. पांच जज कोर्ट नंबर वन में आएंगे और अपने फैसले का संबंधित हिस्सा पढ़ेंगे और इसके बाद अपने चेंबरों में चले जाएंगे. उसके बाद सबकुछ इतिहास होगा."

सितंबर, 2010 के फ़ैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सभी तीन पक्षों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान - के बीच बराबर-बराबर बाँटने का आदेश दिया था.

इस फैसले के बाद हिंदुओं को उस जगह मंदिर बनने की उम्मीद थी, जबकि मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद को फिर से बनाए जाने की मांग की.

साल 2011 में हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने इस फैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी.

रंजन गोगोई
Getty Images
रंजन गोगोई

4 - फ़ैसला देने वाले जज कौन हैं?

फ़ैसला देने वाली संवैधानिक बेंच में पांच जज हैं जिसकी अगुवाई खुद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं.

बाकी सदस्य हैं- जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर.

मामले की सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय बेंच में जस्टिस नज़ीर अकेले मुस्लिम हैं.

सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉक्टर सूरत सिंह ने कहते हैं, "चूंकि ये सभी जज शुरुआत से ही यानी छह अगस्त ही रोज़ इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, इसलिए अपेक्षित है कि ये जज ही फ़ैसला सुनाएंगे."

5 - राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का इतिहास क्या है?

अयोध्या में बाबरी मस्जिद को लेकर हिंदू और मुसलमान समुदाय के बीच विवाद चलते हुए एक सदी से ज़्यादा वक़्त गुजर चुका है.

हिंदुओं का दावा है कि बाबरी मस्जिद की जगह राम की जन्मभूमि थी और 16वीं सदी में एक मुस्लिम आक्रमणकारी ने हिंदू मंदिर को गिराकर वहां मस्जिद बनाई थी.

दूसरी तरफ़ मुस्लिम पक्ष का दावा है कि दिसम्बर 1949 में जब कुछ लोगों ने अंधेरे का फायदा उठाकर मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी और तबतक वे वहां प्रार्थना करते थे.

इसके तुरंत बाद ही वहां राम की पूजा शुरू हो गई.

अगले चार दशक तक हिंदू और मुसलमान समूहों ने इस स्थान पर नियंत्रण और यहां प्रार्थना के अधिकार के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया.

साल 1992 में ये मामला तब फिर से गर्म हो गया जब 6 दिसंबर को अयोध्या में इकट्ठा हुई भीड़ ने मस्जिद गिरा दी.

साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यों वाली पीठ में दो हिंदू जज थे. पीठ ने कहा कि ये इमारत भारत में मुग़ल शासन की नींव रखने वाले बनाया था. ये मस्जिद नहीं थी क्योंकि ये 'इस्लाम के सिद्धातों के ख़िलाफ़' एक गिराए गए मंदिर की जगह बनाई गई थी.

हालांकि इसमें तीसरे मुस्लिम जज ने अलग फैसला दिया और उनका तर्क था कि कोई भी मंदिर नहीं गिराया गया था और मस्जिद खंडहर पर बनी थी.

6 -बाबरी मस्जिद कैसे गिराई गई और आगे क्या हुआ?

छह दिसम्बर 1992 को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकर्ताओं और भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं और इससे जुड़े संगठनों ने कथित रूप से विवादित जगह पर एक रैली आयोजित की. इसमें डेढ़ लाख वालंटियर या कार सेवक शामिल हुए थे.

इसके बाद रैली हिंसक हो गई और भीड़ ने सुरक्षा बलों को काबू कर लिया और 16वीं शताब्दी की बाबरी मस्जिद को गिरा दी.

तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया और विधानसभा भंग कर दी. केंद्र सरकार ने 1993 में एक अध्यादेश जारी कर विवादित ज़मीन को अपने नियंत्रण में ले लिया. नियंत्रण में ली गई ज़मीन का रक़बा 67.7 एकड़ है.

बाद में इस घटना की जांच के आदेश दिए गए, जिसमें पाया गया कि इस मामले में 68 लोग ज़िम्मेदार थे, जिसमें बीजेपी और वीएचपी की कई नेताओं का भी नाम था. ये मामला अभी भी जारी है.

बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में कथित भूमिका को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, उमा भारती और कई अन्य नेताओं पर वर्तमान में विशेष सीबीआई जज एसके यादव की अदालत में सुनवाई चल रही है.

क्या नरसिम्हा राव बाबरी मस्जिद गिरने से बचा सकते थे?

बीजेपी नेता
Getty Images
बीजेपी नेता

कौशिक ने बीबीसी को बताया, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़, बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लखनऊ की सत्र अदालत में सुनवाई चल रही है जिसे 30 अप्रैल 2020 तक पूरा किया जाना है."

सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी आदेश दिया है कि विशेष सीबीआई जज एसके यादव का कार्यकाल अगले साल अप्रैल तक रहेगा. जस्टिस एसके यादव की सेवानिवृत्ति 30 सितम्बर 2019 में होनी थी.

7 - अयोध्या में कितने कार सेवकों की मौत हुई?

राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान हुई कार्रवाई में 16 कारसेवकों की मौत हुई थी.

इसके बाद पूरे देश में हुए साम्प्रदायिक दंगों में क़रीब 2,000 लोग मारे गए.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Ayodhya case: Final phase hearing, seven big questions
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X