अयोध्या मामला: पक्षकारों के बीच सहमति होने पर ही अरविंदो आश्रम ट्रस्ट देगा अपनी जमीन
बेंगलुरु। देश के सबसे पुराने व सबसे संवेदनशील अयोध्या विवाद की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में पूरी होचुकी है। जल्द ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुना देगा। इसी बीच श्री अरविंदो आश्रम ट्रस्ट ने अब कहा है कि अयोध्या मामले में सर्वमान्य सहमति होने की स्थिति में ही वह अपनी जमीन देगा। ट्रस्ट ने मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है। ट्रस्ट ने कहा है कि हमने अपनी जमीन देने का ऑफर अच्छी मंशा से किया था। देश में शांति व भाईचारे के मद्देनजर हमारी ओर से यह ऑफर दिया गया था।
बता
दें
दो
दिन
पहले
ट्रस्ट
ने
मध्यस्थता
पैनल
को
पत्र
लिखकर
कहा
था
कि
अगर
मध्यस्थता
के
जरिए
अयोध्या
भूमि
विवाद
का
समाधान
निकलता
है
तो
वह
विवादित
जमीन
के
पास
स्थित
वह
एक
तिहाई
जमीन
देशहित
में
दे
देगा।
अब
ट्रस्ट
ने
फिर
से
पैनल
को
पत्र
लिखकर
कहा
है
कि
अगर
अयोध्या
विवाद
में
सभी
पक्षकारों
के
बीच
समझौता
नहीं
हुआ
तो
वह
अपनी
जमीन
नहीं
देगा।
आश्रम
ने
कहा
है
कि
पक्षकारों
के
बीच
मध्यस्थता
असफल
होने
या
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
पक्षकारों
के
बीच
हुए
समझौते
से
इत्तफाक
न
रखने
की
स्थिति
में
वह
अपनी
जमीन
देने
को
तैयार
नहीं
है।
हमारा
ऑफर
तब
के
लिए
है
जब
सभी
पक्षकारों
के
बीच
सर्वमान्य
समझौता
हो।
ट्रस्ट
ने
कहा
है
कि
हमने
अपनी
जमीन
देने
का
ऑफर
अच्छी
मंशा
से
किया
था।
देश
में
शांति
व
भाईचारे
के
मद्देनजर
हमारी
ओर
से
यह
ऑफर
दिया
गया
था।
ट्रस्ट
ने
कहा
है
कि
अफवाह
फैलाई
जा
रही
है
कि
उनकी
जमीन
पर
मस्जिद
आदि
बनाई
जाएगी।
हम
कतई
यह
नहीं
चाहते
कि
हमारी
जमीन
का
इस्तेमाल
सांप्रदायिक
उद्देश्य
के
लिए
हो।आश्रम
ने
मध्यस्थता
पैनल
से
आग्रह
किया
है
कि
उनका
पत्र
सुप्रीम
कोर्ट
तक
पहुंचा
दिया
जाए।
गौरतलब
है
कि
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मंगलवार
को
राम
जन्मभूमि-बाबरी
मस्जिद
भूमि
विवाद
मामले
के
पक्षकार
निर्वाणी
अखाड़े
को
मोल्डिंग
ऑफ
रिलीफ
पर
लिखित
जवाब
दाखिल
करने
की
इजाजत
दे
दी।
अन्य
पक्षकार
पहले
ही
कोर्ट
में
जवाब
दाखिल
कर
चुके
हैं।
वहीं विगत मंगलवार को निर्वाणी अखाड़े की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल को लिखित जवाब दाखिल करने की समयसीमा को लेकर भ्रम हो गया था, लिहाजा उन्हें अब नोट जमा करने की इजाजत दी जाए। पीठ ने उनकी अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि वह बिना देरी के जवाब दाखिल कर दें। निर्वाणी अखाड़े ने विवादित स्थल पर पूजा और प्रबंधन का अधिकार मांगा है।
गौरतलब है कि देश के सबसे पुराने व सबसे संवेदनशील अयोध्या विवाद की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में 40वें दिन पूरी हो गई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने छह अगस्त 2019 से विवाद की रोजाना सुनवाई शुरू की थी। संविधान पीठ के प्रमुख मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई हैं। उनके अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर उसमें शामिल हैं। 16 अक्टूबर तक कुल 40 दिन में अदालत में इस संविधान पीठ ने हिंदू व मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनीं। 16 अक्तूबर को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई पूरी होने के साथ कोर्ट ने सभी पक्षों को अगले तीन दिन में 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' पर लिखित में दलीलें पेश करने का निर्देश दिया था।
रोचक बात ये हैं कि अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के निर्माण में कोई बाधा उत्पन्न ना हो, इसके लिए वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में विगत मंगलावार को ब्राह्मणों ने 41 दिवसीय शक्ति अनुष्ठान का आयोजन किया। अनुष्ठान आचार्य पंडित रमेश महाराज के सानिध्य में शुरू हुआ।इस अवसर पर उन्होंने बताया कि राम मंदिर में कोई विघ्न बाधा ना आने पाए इसके लिए आदि शक्ति का शक्ति अनुष्ठान परम आवश्यक है। यह अनुष्ठान नियमित रूप से 41 दिनों तक चलेगा। इसमें वैदिक ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तशती पाठ शतचंडी पाठ सहित विविध हवन किया जा रहा है।
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