अयोध्या विवाद: बंद दरवाजे के पीछे सुलह की कोशिश करेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। अयोध्या केस की सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई। राजनीतिक रूप से अति संवेदनशील राम जन्मभूमिक-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी होने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट गोपनीय तरीके से इस मामले में दोनों पक्षों के बीच सुलहनामे पर बात करेगा। एक तरफ जहां देश में इस मामले में कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा कर रहा है तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस दौरान इस मामले के समझौते के विकल्प पर दोनों ही पक्षों से बात करेंगा।
जल्द
आएगा
कोर्ट
का
फैसला
सुप्रीम
कोर्ट
के
मुख्य
न्यायाधीश
जस्टिस
रंजन
गोगोई
जोकि
इस
पूरे
मामले
की
सुनवाई
के
लिए
गठित
पांच
जजों
की
संवैधानिक
पीठ
की
अध्यक्षता
कर
रहे
हैं,
वह
17
नवंबर
को
रिटायर
हो
जाएंगे,
ऐसे
में
माना
जा
रहा
है
कि
अपने
रिटायरमेंट
से
पहले
जस्टिस
गोगोई
इस
मसले
में
कोर्ट
का
फैसला
सुना
सकते
हैं।
सुप्रीम
कोर्ट
दोनों
पक्षों
के
बीच
विवाद
को
सुलझाने
के
लिए
सुन्नी
वक्फ
बोर्ड
के
उस
प्रस्ताव
पर
गौर
कर
सकते
हैं
जिसमे
बोर्ड
की
ओर
से
कहा
गया
है
कि
अगर
कोई
दूसरी
डील
होती
है
तो
वह
विवादित
जमीन
पर
अपना
दावा
छोड़
सकता
है।
सुन्नी
वक्फ
बोर्ड
का
प्रस्ताव
बता
दें
कि
सुन्नी
वक्फ
बोर्ड
ने
कहा
था
कि
वह
विवादित
जमीन
पर
अपना
दावा
वापस
लेने
के
लिए
तैयार
है
अगर
विवादित
स्थल
को
केंद्र
सरकार
लेने
के
लिए
तैयार
है।
हालांकि
अन्य
मुस्लिम
पक्षकारों
ने
की
बोर्ड
से
अलग
राय
थी।
जो
लोग
समझौते
के
पक्ष
में
हैं
उनमे
मुख्य
रूप
से
निर्मानी
अखाड़ा,
निर्मोही
अखाड़ा,
राम
जन्मभूमि
पुनरुद्धार
समिति
और
अन्य
हिंदू
पक्ष
हैं।
पीटीआई
की
खबर
के
अनुसार
दोनों
पक्षकारों
ने
द
प्लेसेज
ऑफ
वर्शिप
एक्ट
1991
के
तहत
समझौते
की
मांग
की
है।
7
अगस्त
को
शुरू
हुई
थी
सुनवाई
बता
दें
कि
रामजन्मभूमि
विवाद
की
सुनवाई
7
अगस्त
को
शुरू
हुई
थी
और
हर
रोज
इसकी
सुनवाई
चली।
इस
दौरान
निर्मोही
अखाड़ा,
हिंदू
संगठन
का
दावा
था
कि
मुसलमानों
ने
विवादित
स्थल
पर
1934
के
बाद
से
नमाज
अदा
नहीं
की
है।
पांच
जजों
की
बेंच
ने
इस
मामले
की
सुनवाई
शुरू
की
थी,
जिसमे
सीजेआई
जस्टिस
रंजन
गोगोई,
एसए
बोबडे,
डीवाई
चंद्रचूड़,
अशोक
भूषण
और
एस
अब्दुल
नजीर
शामिल
हैं।
इससे
पहले
इलाहाबाद
हाई
कोर्ट
ने
इस
मामले
में
2010
में
अपना
फैसला
दिया
था,
जिसमे
कहा
गया
था
कि
यह
जमीन
से
जुड़ा
विवाद
है
और
विवादित
जमीन
को
तीन
हिस्सों
में
बांटने
का
फैसला
सुनाया
था।
जिसमे
सुन्नी
वक्फ
बोर्ड,
निर्मोही
अखाड़ा,
राम
लला
शामिल
हैं।
इसके
बाद
कोर्ट
के
फैसले
के
खिलाफ
सुप्रीम
कोर्ट
में
कुल
14
याचिकाएं
दायर
की
गई
थीं।
गौरतलब
है
कि
6
दिसंबर
1992
में
बाबरी
मस्जिद
को
गिरा
दिया
गया
था।
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