अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- हिंदू पक्ष के पास जमीन पर अधिकार के सबूत नहीं
नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद मामले में 38वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो समयसीमा तय की गई है, उसके मुताबिक आज मुस्लिम पक्ष को अपनी दलीलें पूरी करनी हैं। इसके बाद हिन्दू पक्ष को इसपर बहस के लिए दो दिन का वक्त दिया जाएगा। सोमवार को शुरू हुई इस सुनवाई से पहले, अयोध्या में 10 दिसंबर तक के लिए धारा 144 लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, 17 अक्टूबर को इस बहुचर्चित मामले में आखिरी दिन सुनवाई हो सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुस्लिम पक्ष से आज ही अपनी दलीलें खत्म करने को कहा। इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अदालत से दलीलें रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। धवन की इस मांग पर कोर्ट ने कहा कि वे आज ही बहस पूरी करने की कोशिश करें।
Ayodhya case in SC:Rajeev Dhawan,appearing for one of the Muslim parties said 'there is no finding by Archaeological Survey of India of destruction of temple.We have been in possession throughout.They(other parties)claimed adverse possession since 1934 of which there is no proof' https://t.co/BNYCAz6qHR
— ANI (@ANI) October 14, 2019
कोर्ट में दलीलें रखते हुए राजीव धवन ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट में मंदिर तोड़े जाने की बात नहीं कही गई है। हिंदुओं ने बहुत बाद में जमीन के टाइटल का दावा किया। उन्होंने 1934 से प्रतिकूल कब्जे का दावा किया जिसका कोई सबूत नहीं है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील धवन ने कहा कि ये दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं हैं कि दूसरा पक्ष उस भूमि का मालिक है, हिन्दुओं को केवल पूजा का अधिकार था।
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राजीव धवन ने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने 1854 में बाबरी मस्जिद के लिए ग्रांट दिया था। 1885 से 1989 तक हिंदू पक्ष की तरफ से जमीन पर कोई दावा पेश नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि गुंबद के नीचे राम का जन्मस्थान होने के श्रद्धालुओं के फूल चढ़ाने से दावा सिद्ध नहीं हुआ है। वहां तो वे लोग ट्रेसपासिंग कर घुसे थे।