तमिलनाडु के तीनों मध्यस्थ सुलझाएंगे यूपी का सबसे बड़ा विवाद
नई दिल्ली। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मध्यस्थता के जरिए इसका समाधान करने को कहा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है। इस पैनल में जस्टिस खलीफुल्ला (रिटायर्ड) के अलावा आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचु भी शामिल हैं। जिन्हें इस विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है उनको लेकर बेहद खास बात सामने आई है। संयोग से, पैनल में शामिल तीनों ही सदस्य तमिलनाडु से हैं।
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अयोध्या मध्यस्थता समिति के सभी तीन सदस्य तमिल हैं : सुब्रमण्यम स्वामी
अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता के लिए गठित पैनल में तीनों ही सदस्य तमिलनाडु के हैं, इसको लेकर सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, "अयोध्या मध्यस्थता समिति के सभी तीन सदस्य तमिल हैं।" ऐसा माना जा रहा है कि अयोध्या मामले के समाधान के लिए दक्षिण भारत से ही तीनों मध्यस्थ इसलिए चुने गए, जिससे उन पर स्थानीय पक्षों का किसी तरह का कोई असर नहीं पड़े। आइये जानते हैं मध्यस्थता पैनल में चुने गए तीनों सदस्यों के बारे में.
पूर्व जस्टिस एफएम इब्राहिम खलीफुल्ला
पूर्व जस्टिस एफ एम इब्राहिम खलीफुल्ला सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ट जज हैं। उनका जन्म 23 जुलाई 1951 में तमिलनाडु में हुआ। उन्होंने साल 1975 में बतौर वकील चेन्नई में अपने करियर की शुरुआत की। साल 2000 में उन्हें मद्रास हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इसके बाद साल 2011 में उन्हें जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। 2 अप्रैल, 2012 को खलीफुल्ला को सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया। साल 2016 में वो यहां से रिटायर हो गए। अयोध्या मामले की मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में ही तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है।
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श्री श्री रविशंकर, आध्यात्मिक गुरु
श्री श्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरु हैं। दुनियाभर में उनकी पहचान है। उनका जन्म तमिलनाडु में 13 मई, 1956 को हुआ। उनके पिता का नाम वेंकट रत्न था जो भाषाविद् थे। 1982 में रविशंकर ने ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की। सुप्रीम कोर्ट ने श्री श्री रविशंकर को भी इस मामले में मध्यस्थ बनाया है। जिसकी मदद से वो लोगों में आत्मविश्वास भरते हैं। अपनी संस्था की मदद से वो 67887 बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने 618 स्कूल खुलवाएं हैं जिनमें से ज्यादातर स्कूल ग्रामीण और आदीवासी इलाकों में है। आर्ट ऑफ लिविंग की मदद से कई अस्पताल चलाए जाते हैं। इसके अलावा कई मेडिकल कैंप लगवाए जाते हैं।
श्रीराम पंचू, वरिष्ठ वकील
अयोध्या विवाद में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल में श्रीराम पंचू को भी नियुक्त किया गया है। श्रीराम पंचू चेन्नई के रहने वाले हैं। वह मद्रास हाई कोर्ट के वकील होने के साथ जाने-माने मध्यस्थ यानी मीडिएटर हैं। श्रीराम पंचू 'द मेडिएशन चेम्बर्स' के नाम से एक समिति गठित की है, जिसके जरिए वो मध्यस्थता में शामिल होते हैं। वो भारतीय मध्यस्थों के संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान बोर्ड के निदेशक रह चुके हैं। पंचू ने मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 2005 में भारत का पहला मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया।
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