सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई, शिया वक्फ बोर्ड ने दिए ये तर्क
नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार से फिर से सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर शिया वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वो इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहते हैं। शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद के संरक्षक शिया थे और सुन्नी वक्फ बोर्ड या कोई और भारत में मुस्लिमों का प्रतिनिधि नहीं है। वहीं शिया वक्फ बोर्ड की दलीलों पर मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड का अयोध्या मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
राजीव धवन ने कहा कि जैसे तालिबान ने बामियान में बुद्ध की प्रतिमा को ध्वस्त किया था, उसी प्रकार हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद तोड़ी थी। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी। इसके पहले की सनुवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने दलील देते हुए 1994 के इस्माइल फारूकी के मामले में आए फैसले के कुछ निष्कर्षों पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।
बता दें कि राम मंदिर भूमि विवाद पर जारी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षों की दलीलें सुनी जा रही है। मुस्लिम पक्ष से पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर की विशेष पीठ ने 17 मई को हिंदू संगठनों की तरफ से पेश दलीलें सुनी थीं।