Atulya Ganga:अब गंगा को स्वच्छ करने के मिशन पर निकले सेना के ये दिग्गज, ऐसे हासिल करेंगे पवित्र लक्ष्य
नई दिल्ली- भारतीय सेना के तीन दिग्गजों ने गंगा की स्वच्छता के लिए नई पहल शुरू की है। देश सेवा में अपना जीवन समर्पित कर चुके इन दिग्गजों ने अब भारत की सबसे बड़ी जीवन-रेखा को पुनर्जीवित करने का बीड़ा अपने मजबूत कंधों पर उठाया है। वैसे गंगा को फिर से अविरल और निर्मल बनाना कितना मुश्किल है, यह बात अब देश से छिपी हुई नहीं है, लेकिन सेना के तीन दिग्गजों ने ठान लिया है कि वह अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ेंगे। पवित्र गंगा देश की करीब 50 करोड़ से ज्यादा आबादी के लिए अभी भी जीवनदायिनी है और दुनिया के हर 12वें इंसान की जिंदगी यहीं गुजरती है। फिर भी इंसानों की वजह से हुई इसकी दुर्गति को दूर करने के लिए 'अतुल्य गंगा' के नाम से 15 दिसंबर से एक ऐतिहासिक पद यात्रा शुरू होने वाली है।
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परिक्रमा
गंगा
को
स्वच्छ
बनाने
के
लिए
'अतुल्य
गंगा'
की
पहल
लेफ्टिनेंट
कर्नल
(रि.)
हेम
लोहुमी,
गोपाल
शर्मा
और
कर्नल
(रि.)
मनोज
केश्वर
ने
की
है।
'अतुल्य
गंगा'
अभियान
के
तीन
आधार
स्तंभ
होंगे-
परिक्रमा,
प्रदूषण
और
लोग।
सेना
के
इन
दिग्गजों
का
मानना
है
कि
अगर
पूरी
निष्ठा
के
साथ
इन
तीनों
स्तंभों
पर
काम
किया
गया
तो
इस
नदी
की
तस्वीर
बदली
जा
सकती
है।
परिक्रमा
के
तहत
प्रकृति,
रोमांच,
संस्कृति,
पौराणिक
कथाओं
और
इतिहास
को
अनूठे
तौर
पर
समेटने
की
कोशिश
की
जाएगी।
कर्नल
(रि.)
मनोज
केश्वर
ने
कहा
है,
'इसके
पीछे
आइडिया
युवाओं
के
बीच
जागरूकता
पैदा
करना
है,
जो
कि
देश
की
रीढ़
हैं।
पिछले
1,600
वर्षों
में
किसी
ने
इसकी
परिक्रमा
पूरी
नहीं
की
है,
जिसके
लिए
नियमों
का
पालन
करते
हुए
नदी
की
लंबाई
में
यात्रा
करने
की
जरूरत
होती
है।
वैदिक
काल
से
इसकी
परंपरा
रही
है।
दुनिया
भर
में
ऐसे
20
लंबे
ट्रेक
हैं,
लेकिन
भारत
में
अभी
तक
इसकी
खोज
नहीं
हुई
है।
5,000
किलोमीटर
की
यह
यात्रा
भारत
को
पहली
बार
इतनी
लंबी
ट्रेक
देगी,
जो
रोमांच
प्रेमियों
के
लिए
बहुत
बड़ा
आकर्षण
साबित
होगा।'
प्रदूषण
इस
अभियान
का
दूसरा
और
महत्वपूर्ण
पिलर
है
प्रदूषण,
जिसने
गंगा
को
इतना
प्रदूषित
कर
रखा
है।
इंडस्ट्रियल
और
सीवेज
वेस्ट
का
इसमें
गिराया
जाना
एक
कड़वी
सच्चाई
है,
जिसपर
तत्काल
कार्य
करने
की
जरूरत
है।
पूरे
नदी
तंत्र
का
बहुत
ही
लापरवाही
के
साथ
शोषण
किया
गया
है।
कर्नल
मनोज
के
मुताबिक,
'भारत
सरकार
ने
इस
स्थिति
की
गंभीरता
को
समझते
हुए
नमामि
गंगे
जैसे
महत्वपूर्ण
प्रोजेक्ट
शुरू
किया
है।
नदी
की
असल
में
सफाई
सिर्फ
सरकार
के
द्वारा
ही
हो
सकती
है।
हम
सिर्फ
जागरूकता
पैदा
कर
सकते
हैं
और
युवाओं
को
हमारी
प्रमुख
नदियों
को
संरक्षित
रखने
के
लिए
प्रेरित
कर
सकते
हैं।....
'
जन
आंदोलन
अतुल्य
गंगा
एक
जन
आंदोलन
है
जो
अभी
इस
साल
15
दिसंबर
से
शुरू
होकर
10
अगस्त,
2021
तक
चलाया
जाने
वाला
है।
वैसे
यह
11
साल
का
प्रोजेक्ट
है,
जो
दो
पंच-वर्षीय
योजनाओं
के
साथ
2020
से
2030
तक
चलेगा।
पहले
चरण
में
ये
लोग
220
दिनों
में
5,000
गांव
और
45
शहरों
की
यात्रा
करेंगे।
शुरू
में
योजना
थी
कि
इस
पद
यात्रा
में
ज्यादा
से
ज्यादा
लोगों
को
शामिल
किया
जाएगा,
लेकिन
कोरोना
वायरस
को
देखते
हुए
सावधानी
के
चलते
इसमें
6
स्थाई
पद
यात्री
ही
होंगे,
जबकि
150
रिले
और
20,000
से
ज्यादा
कम
दूरी
के
पद
यात्री
शामिल
होंगे
जो
ट्रेक
के
बीच
में
जुड़ते
रहेंगे।
इस
पद
यात्रा
के
दौरान
हर
5
किलो
मीटर
पर
गंगा
जल,
भू-जल
और
मिट्टी
की
सैंपलिंग
और
टेस्टिंग
की
जाएगी।
इस
दौरान
रास्ते
में
बरगद,
नीम
और
पीपल
के
पौधे
भी
लगाए
जाएंगे।