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नज़रियाः भारत ने कश्मीर में सीज़फ़ायर को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला क्यों लिया?

केंद्र सरकार ने रविवार को जम्मू और कश्मीर में घोषित एकतरफा संघर्षविराम को और आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है. यह संघर्षविराम रमजन के महीने के दौरान राज्य में 16 मई को घोषित किया गया था. गृह मंत्रालय ने कहा कि चरमपंथियों के ख़िलाफ़ फिर से अभियान शुरू किया जाएगा. यह घोषणा ईद के एक दिन बाद की गई है.

सरकार का यह फ़ैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उस उच्चस्तरीय बैठक के बाद सामने आया जिसमें 

By BBC News हिन्दी
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सीज़फ़ायर, संघर्षविराम, जम्मू-कश्मीर
PTI
सीज़फ़ायर, संघर्षविराम, जम्मू-कश्मीर

केंद्र सरकार ने रविवार को जम्मू और कश्मीर में घोषित एकतरफा संघर्षविराम को और आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है. यह संघर्षविराम रमजन के महीने के दौरान राज्य में 16 मई को घोषित किया गया था. गृह मंत्रालय ने कहा कि चरमपंथियों के ख़िलाफ़ फिर से अभियान शुरू किया जाएगा. यह घोषणा ईद के एक दिन बाद की गई है.

सरकार का यह फ़ैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उस उच्चस्तरीय बैठक के बाद सामने आया जिसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अन्य अधिकारी शामिल हुए थे. यह बैठक जम्मू-कश्मीर में रमज़ान के दौरान जारी चरमपंथी गतिविधियों के मद्देनजर हुई थी.

एकतरफ़ा संघर्षविराम करने से लेकर इसे हटाने के पीछे सरकार की मंशा क्या थी और क्या रहे इसके नतीजे.

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पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या से उपजे सवाल

भारतीय सेना
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भारतीय सेना

पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार भारत भूषण का नज़रिया

एकतरफ़ा युद्ध विराम का जम्मू-कश्मीर में तो थोड़ा बहुत फ़ायदा हुआ सरकार को, लेकिन बाकी देश में नुकसान हुआ.

सवाल उठता है कि क्या युद्धविराम या सीज़फ़ायर से चरमपंथी गतिविधियों में कमी आई? मेरे ख़्याल से इसमें कुछ ख़ास कमी नहीं आई, लेकिन पत्थरबाज़ी में कमी ज़रूर आई है. इसके अलावा जो स्थानीय अशांति होती थी उसमें थोड़ा बदलाव देखने को मिला.

कश्मीर में हिंसा
EPA
कश्मीर में हिंसा

ईद के दौरान विरोध प्रदर्शन और पत्रकार शुजात बुखारी की दिनदहाड़े हत्या हुई तो पूरे देश में यह संदेश जा रहा था कि सीज़फ़ायर का क्या फ़ायदा हो रहा है. तो इस नुकसान के समीकरणों को देखते हुए सरकार ने समझा कि इसको हटा लिया जाए.

दूसरी बात यह है कि अब कुछ दिनों में अमरनाथ यात्रा शुरू होगी. उम्मीद यह थी कि यह सीज़फ़ायर अमरनाथ यात्रा के दौरान भी जारी रहेगी क्योंकि यही माहौल रहा तो अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा भी ख़तरे में रहेगी. हो सकता है अमरनाथ यात्रा के ऊपर भी हमले हों.

अमरनाथ यात्रा पर हमला हुआ तो सरकार को इसकी बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.

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सीज़फ़ायर, संघर्षविराम, जम्मू-कश्मीर
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सरकार ने क्यों किया था सीज़फ़ायर का एलान?

सीज़फ़ायर का एलान करने के पीछे सरकार की मंशा क्या थी ये तो किसी को पता नहीं. मुझे नहीं लगता कि उन्होंने यह सोचा होगा कि इससे बात बनेगी. हालांकि यह सोच ज़रूर रही होगी कि रमज़ान के महीने में थोड़ी शांति रहेगी, फ़ौजी बाहर नहीं निकलेंगे तो उन पर पत्थर नहीं पड़ेंगे और पत्थर नहीं पड़ेंगे तो वो वापस गोली नहीं चलाएंगे. यानी वहां किसी सिविलियन की मौत नहीं होगी.

इसके साथ ही इस प्रयोग से अगर चरमपंथी गतिविधियों में कमी आती तो संभव था कि इसे अमरनाथ यात्रा तक के लिए बढ़ाया जाता. चरमपंथी गतिविधियों में कमी भी नहीं आई और एक हाई प्रोफ़ाइल हत्या भी हो गई. ऐसे में सरकार के पास सीज़फ़ायर को वापस लेने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था.

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सरकार की अपील का क्या असर होगा?

सरकार ने अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा है कि जितने लोग शांति चाहते हैं वो एक साथ आएं और चरमपंथियों को अलग-थलग करें और भटके हुए लोगों को शांति के रास्ते पर लाएं. जिस सरकार ने चार साल तक कश्मीर में किसी से बातचीत नहीं की, शक्ति प्रदर्शन के जरिए शांति लाने की कोशिश की, क्या वो अपने अंतिम साल, जब चुनाव में एक साल से भी कम वक्त रह गया है, बातचीत कर सकती है. लोग पूछेंगे कि नहीं कि चार साल तक क्या सो रहे थे?

यह केवल रस्मी वक्तव्य है जिसमें आप अच्छी-अच्छी बातें करते हैं.

कश्मीर में हिंसा
Getty Images
कश्मीर में हिंसा

इस सरकार का कश्मीर में रिकॉर्ड देखा जाए तो ये बहुत ही बेकार है. न पाकिस्तान के साथ कभी इतने सीज़फ़ायर उल्लंघन हुए हैं, न ही बच्चों ने इतनी बड़ी संख्या में कभी चरमपंथ का दामन थामा है. एक पूरी नई पीढ़ी को आप बंदूक और गोली के हवाले कर रहे हैं. तब सरकार ने नहीं सोचा था कि उसे शांति लानी चाहिए और अब जब लोकसभा चुनाव के क़रीब नौ-दस महीने बचे हैं तब याद आ रही है.

BBC Hindi
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English summary
Attitude Why did India take a decision not to increase szafair in Kashmir
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