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नज़रियाः डर निकल जाए तो प्रेम किसी चीज़ का लिहाज नहीं करता

हमारा समाज दरअसल आइना नहीं देखता.

हर अधेड़ उम्र का या बूढ़ा आदमी, जवान औरत को देखता है तो उसकी नज़र में हमेशा ममता नहीं होती. बाज़ार में, रेस्टोरेंट में, सिनेमा हॉल में- आपको उनकी कामुक नज़रें मिलेंगी.

अधेड़ उम्र की औरतें अगर उसी आज़ादी, उसी आत्मविश्वास के साथ, घर से बाहर निकल कर ख़ूबसूरत जवान उम्र के लड़कों को देखतीं तो उन्हें ख़ूबसूरती और जवानी ही नज़र आती. ममता उमड़ने की संभावना कम है.

By BBC News हिन्दी
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यूँ तो प्रेम का मामला हमेशा नाज़ुक ही होता है, लेकिन कुछ प्रेम कहानियाँ इतनी नाज़ुक होती हैं कि उनका ख़ुलासा होते ही समझो प्रेमियों की शामत आई!

हिंदुस्तान में, अगर जाति या धर्म का फ़र्क़ हो तो परिवार और समाज के लोगों को तो तकलीफ़ होती ही है, प्रेमियों की जान को भी ख़तरा हो जाता है.

अगर आर्थिक स्तर में फ़र्क़ हो तो लोगों की नाक-भौं सिकुड़ जाती हैं. जिसके पास पैसे ज़्यादा हों, उससे और उसके परिवार वालों से हमदर्दी भी जताई जाती है.

और अगर उम्र में बहुत फ़र्क़ हो, तो प्रेमियों का मज़ाक उड़ाया जाता है.

इसका ताज़ा उदाहरण है अनूप जलोटा और जसलीन मथारू की जोड़ी.

ज़ाहिर है, मज़ाक जलोटा का उड़ाया जा रहा है क्योंकि उनकी उम्र ज़्यादा है. कहा जा रहा है कि दोनों में 37 साल का फ़र्क़ है, सो प्रेमिका बेटी की उम्र की है.

मगर मज़ाक में एक तरह की ये ईर्ष्या भी झलक रही है कि देखो! जवानों से बाज़ी मार ले गया!

अनूप जलोटा
Getty Images
अनूप जलोटा

अगर कहानी उलट होती तो?

मैं सोचती हूँ, क्या होता अगर 65 साल की औरत, ख़ासकर भजन गाने वाली या प्रवचन सुनाने वाली कोई देवी जी, 28 साल के किसी बेहद खूबसूरत, तने-कसे बदन वाले आदमी का हाथ पकड़ लेती?

एक-आध महीने की बात है, प्रियंका चोपड़ा का भी मज़ाक उड़ाया गया था क्योंकि उनकी मंगनी निक जोनास के साथ हुई थी. ख़ैर, यहाँ तो सिर्फ़ 10 साल का ही फ़र्क़ था.

औरत की उम्र ज़्यादा हो तो लोगों को तीन या पांच साल भी बहुत ज़्यादा लगते हैं. मैंने अपने दोस्तों में, पढ़े-लिखे और काफ़ी हद तक आज़ाद ख़्याल लोगों के मुँह से 'क्रेडल-स्नैचर' यानी पालने से बच्चा चुराना जैसी अजीब संज्ञाएँ सुनी हैं.

अब चाहे ये छेड़ने के लिए ही कहा जाता हो, मगर आज भी युवा पीढ़ी को ये मंज़ूर नहीं कि 30 साल की लड़की 25 साल के लड़के पर नज़र डाले.

प्रेम, शादी
ALOK PUTUL/BBC
प्रेम, शादी

बड़ी उम्र की महिलाओं से शादी कल्पना से परे

आप कोई भी अख़बार उठा लें, शादी के विज्ञापन पढ़ लें. अगर 'लड़के' की उम्र 28 है, तो उसे 21 से 28 के बीच की 'लड़की' चाहिए. अगर 38 है, तो 25 से 35 के बीच की लड़की चाहिए और अगर 48 है, तो 30 से 45.

कुछ लोग इसको औरत के बच्चे पैदा करने की उम्र से जोड़ते हैं. मगर ये एक सच है कि आदमी अगर जीवन की संध्या में भी दूसरी शादी कर रहा हो, तब भी ये असंतुलन नहीं बदलता.

मैंने आज तक ऐसा कोई विज्ञापन नहीं देखा जहां 60 का आदमी 55-70 साल की औरत की तलाश में हो. तलाश तो बहुत दूर की बात है, कोई इसकी कल्पना भी नहीं करना चाहता.

कुछ हद तक इसका प्रमाण आपको फ़िल्मी अभिनेता और उनके किरदारों में भी दिखेगा.

50 साल के अभिनेता 23-24 साल की अभिनेत्रियों के साथ फ़िल्मों में प्रेम करते नज़र आते हैं और इसे स्वाभाविक माना जाता है. लेकिन अभिनेत्री 40 की हुई नहीं कि प्रेम कहानियाँ ही ख़त्म!

शादी
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शादी

कमसिन महिला से ब्याह क्यों?

शादी-ब्याह के मामले में 10 साल ज़्यादा नहीं माने जाते. बड़े-बुज़ुर्गों से ये भी सुना है कि मर्द-औरत में 10 साल का फ़र्क़ ठीक है.

ठीक इस लिहाज़ से मानते हैं कि आदमी कमाएगा अच्छा और लड़की जितनी कमसिन और अनाड़ी, जितनी अनुभवहीन, जितनी परतंत्र हो, उतनी आसानी से पति और उसके परिवार के क़ाबू में रहेगी.

लेकिन जब आदमी की उम्र कम हो तो यही 10-12 साल का फ़र्क़ भयानक लगने लगता है.

पत्नी या प्रेमिका अनुभवी हों, अपना अच्छा-बुरा समझती हों, ख़ुद पैसे कमाती हों, उसे आदमी के पैसों और उसकी दुनियादारी की ज़रूरत न हो, तो ये किसी को मंज़ूर नहीं.

प्रेम, शादी, कामुक निगाहें
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प्रेम, शादी, कामुक निगाहें

कामुक नज़रें मिलेगी

हमारा समाज दरअसल आइना नहीं देखता.

हर अधेड़ उम्र का या बूढ़ा आदमी, जवान औरत को देखता है तो उसकी नज़र में हमेशा ममता नहीं होती. बाज़ार में, रेस्टोरेंट में, सिनेमा हॉल में- आपको उनकी कामुक नज़रें मिलेंगी.

अधेड़ उम्र की औरतें अगर उसी आज़ादी, उसी आत्मविश्वास के साथ, घर से बाहर निकल कर ख़ूबसूरत जवान उम्र के लड़कों को देखतीं तो उन्हें ख़ूबसूरती और जवानी ही नज़र आती. ममता उमड़ने की संभावना कम है.

ये बात अलग है कि हमारे समाज में औरतें अधिकतर पहल नहीं करती हैं. और बदतमीज़ी भी नहीं करती हैं. नज़र पे ज़रा पर्दा पड़ा रहता है. चाहे उम्र का कोई भी पड़ाव क्यों न हो.

प्रियंका चोपड़ा
PRIYANKA CHOPRA/INSTAGRAM
प्रियंका चोपड़ा

अनूप जलोटा, प्रियंका चोपड़ा क्या करें?

लेकिन अनूप जलोटा साहब से उम्मीद है, वे भजन गायें, प्रभु और माता की चौकी में मन लगाएँ. संपत्ति हो तो बच्चों के लिए छोड़ जाएं. अकेलापन काटने को दौड़ता है तो अपनी उम्र के आस-पास किसी महिला से शादी कर लें.

लोग कहेंगे, कोई बात नहीं; बुढ़ापे का सहारा हो गया. ख़याल रखने को भी कोई चाहिए इत्यादि.

प्रियंका चोपड़ा साहिबा से भी यह उम्मीद है लेकिन उनके लिए 'आस-पास' की खिड़की और संकुचित है.

किन्तु प्रेम? उम्र का लिहाज़ नहीं करता.

प्रेम किसी चीज़ का लिहाज़ नहीं करता. जात-धर्म का भी नहीं. गोत्र और दर्जे का भी नहीं.

एक बार 'लोग क्या कहेंगे' का डर दिल से निकल जाए, फिर इंसान को किसी धर्म या झूठी रस्मों के खूँटे से बाँधना मुश्किल है.

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English summary
Attitude Love does not matter if you get scared
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