नज़रिया: पंजाब नेशनल बैंक घोटाला कांग्रेस के लिए कितना बड़ा मौक़ा बनेगा?
नरेंद्र मोदी सरकार के चौथे साल में कांग्रेस को राजनैतिक रूप से पहली बार पलटवार करने का सुनहरा मौक़ा मिला है.
पंजाब नेशनल बैंक घोटाला व नीरव मोदी का विदेश भाग जाना कांग्रेस को मोदी और एनडीए सरकार को परेशान करने का पर्याप्त मसाला देता है लेकिन राहुल गांधी पूर्ण रूप से इसका फ़ायदा लेते हुए नहीं दिख रहे हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार के चौथे साल में कांग्रेस को राजनैतिक रूप से पहली बार पलटवार करने का सुनहरा मौक़ा मिला है.
पंजाब नेशनल बैंक घोटाला व नीरव मोदी का विदेश भाग जाना कांग्रेस को मोदी और एनडीए सरकार को परेशान करने का पर्याप्त मसाला देता है लेकिन राहुल गांधी पूर्ण रूप से इसका फ़ायदा लेते हुए नहीं दिख रहे हैं.
परदे के पीछे कांग्रेस के रणनीतिकार अपना पिछला हिसाब किताब देखने और बचाने में लगे हैं और विपक्ष की एकता की आड़ में धरना प्रदर्शन व संयुक्त संसदीय समिति की मांग से बच रहे हैं.
ताज्जुब की बात है कि डॉ मनमोहन सिंह जो स्वयं एक निपुण अर्थशास्त्री हैं, अभी तक खुल कर सामने नहीं आए हैं. तक़रीबन यही हाल प्रणब मुख़र्जी का है जो यूपीए के समय वित्त मंत्री व संकटमोचन का काम करते रहे थे.
तेवर तेज़ करें राहुल
यदि राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी के विरुद्ध अपने तेवर तेज़ कर जनता के बीच साख़ जमानी है तो उन्हें अपनों को बचाने के प्रयासों और रणनीतियों से बचना होगा.
याद रहे मोदी बार बार "न खाऊंगा न खाने दूंगा" का बखान करते रहते हैं. अब जब सरकार के पास नीरव मोदी के विदेश भाग जाने का कोई संतोषजनक जवाब नहीं है, राहुल को जनता के बीच भ्रष्टाचार के प्रति 'जीरो टोलेरेंस 'दिखाना चाहिए.
यदि मोदी सरकार किसी कांग्रेसी के ख़िलाफ़ पुख्ता मामला लाती है तो राहुल को ऐसे कांग्रेसी के प्रति कोई सहानुभूति या हमदर्दी नहीं दिखानी चाहिए.
दरअसल कांग्रेस की समस्या अंदरूनी विरोधाभास और निर्णय न लेने की क्षमता है. रफ़ाल सौदे व अन्य भ्रष्ट्राचार से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस चाह कर भी आक्रमक नहीं हो पाती है.
'सोनिया की कांग्रेस' से अलग बनाने की चुनौती
वकीलों व अर्थशास्त्रियों की भरमार राहुल को कठोर राजनैतिक निर्णय लेने से रोकती है और भ्रम व अनिर्णय का माहौल बनाती है. राहुल को अपने आप को सोनिया गांधी की कांग्रेस से भिन्न दिखाना चाहिए जो वह पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में अब तक नहीं कर पाए हैं.
कांग्रेस में पैंतरेबाज़ों की कमी नहीं है. जब से पंजाब नेशनल बैंक घोटाला सामने आया है , बैंकों का राष्ट्रीयकरण, सरकारी बैंकों के कर्मचारियों , बैंकों के निजीकरण के मुद्दों पर अलग से बहस शरू हो गई है जबकि पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का बैंकों के सरकारी या प्राइवेट होने से कोई संबंध ही नहीं है.
अगर चूक हुई है तो सरकार दोषी है. यदि भूतकाल की ग़लतियां हैं तो दोषियों पर न्यायसंगत कर्रवाई होनी चाहिए.
अब समय आ गया है की राहुल अपनी पॉलिटिकल इंस्टिंक्टस या राजनैतिक विवेक से फ़ैसले लें न की अपने हाल में बने विश्वासपात्रों पर भरोसा करें.
यदि कांग्रेस को भ्रष्ट्राचार से लड़ने के लिए किसी प्रकार की क़ुरबानी देनी हो तो राहुल को झिझकना नहीं चाहिए. शायद मोदी सरकार को राहुल व कांग्रेस के अन्तर्विवाद व अनिर्णय पर भरोसा है.
राहुल गांधी को उनको ग़लत साबित करना होगा. कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में पंजाब नेशनल बैंक घोटाला कांग्रेस के लिए एक संजीवनी का काम कर सकता है.