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जिसने तेज़ाब डाला, वो उसी के साथ रहती है

तेज़ाब डालने वाले शख़्स के साथ एक ही घर में रहना कैसा होता है?

By BBC News हिन्दी
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एसिड अटैक सर्वाइवर
BBC
एसिड अटैक सर्वाइवर

"कई बार लोग मुझे देखकर कहते हैं, आग ली होगी या कुछ और कर लिया होगा. मैं उनसे बड़े प्यार से कहती हूं, एक बार मुझसे पूछ लेते तो मैं सच-सच बता देती कि क्या हुआ है."

नीतू की खनकती हुई आवाज़ सुनकर ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि उन पर तीन बरस की उम्र में तेज़ाब फ़ेंका गया था.

26 साल की नीतू आज उसी शख़्स के साथ एक घर में, एक छत के नीचे रहती हैं जिसने उन पर तेज़ाब डाला था.

ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि उनके अपने पिता थे. उन्हें ठीक से याद नहीं है कि हमले के वक़्त वाक़ई क्या हुआ था क्योंकि वो तब वो बहुत छोटी थीं.

एसिड अटैक सर्वाइवर
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नीतू की मां गीता ने बताया,"इसके पापा को शराब की लत है. घर में हमेशा मार-पीट और झगड़ा होता था. ये कोई काम भी नहीं करते थे. इन्हीं सबसे नाराज़ होकर मैं मायके चली गई थी."

वो आगे बताती हैं,"रात के करीब एक बज रहे होंगे. हम सब सो रहे थे. नीतू भी मेरे बगल में सोई थी. भगवान जाने, ये कैसे घर में घुस आए और आकर हम पर तेज़ाब डाल दिया."

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तेज़ाब से नन्ही नीतू का चेहरा और गर्दन जल गई थी. उनकी दोनों आंखों की रोशनी भी चली गई. नीतू को ना के बराबर दखाई देता है.

जख़्मों के निशान

अगर कोई उनके करीब आए तो वो समझ ज़रूर जाती हैं लेकिन सामने वाले का चेहरा कैसा है, उन्हें ये पता नहीं चलता.

हमले के बाद उनकी मां की एक आंख खराब हो गई. कमर और एक हाथ भी जल गया. तकरीबन 14 महीने तक इलाज चला लेकिन आज भी जख़्मों के निशान दोनों के शरीर पर मौज़ूद हैं, शायद कभी ख़त्म होंगे भी नहीं.

एसिड अटैक सर्वाइवर
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नीतू की मां ने अपने पति पर केस किया. वो दो-तीन महीने जेल में भी रहे लेकिन फिर छूट गए. नीतू की मां ने केस वापस ले लिया था.

वो बताती हैं,"मेरी मां और भाई को धमकियां मिल रही थीं. मैं पहले ही सबकुछ खो चुकी थी, अब अपने परिवार को नहीं खोना चाहती थी इसलिए मैंने केस वापस ले लिया."

हमले के चार-पांच साल नीतू और उनकी मां फिर उस घर में वापस लौटे. जिसने उन पर तेज़ाब डाला उसी के साथ रहने का फ़ैसला क्यों?

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ये पूछने पर नीतू की मां ने कहा,"कुछ वक़्त बाद मेरी मां भी गुज़र गई थीं. मैं भाइयों और भाभियों के सहारे कितने दिन रहती? हमारे सामने और कोई चारा नहीं था. हमें लौटना ही पड़ा."

नीतू के लिए ज़िदगी कितनी मुश्किल रही? इसके जवाब में वो कहती हैं,"मैंने जबसे होश संभाला है अपने आप को ऐसा ही पाया है. मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता लेकिन मैं जानती हूं कि मेरा चेहरा और किसी की तरह नही हैं."

महिला
Getty Images
महिला

नीतू मानती हैं कि उन्होंने खुद को वैसे ही कबूल कर लिया है शायद इसीलिए उन्हें ज़िंदगी से शिक़ायतें नहीं हैं.

चेहरा मैं क्यों ढ़ंकूं?

वो याद करती हैं,"कई बार बच्चे मुझे अपने साथ नहीं खिलाते थे. वो कहते थे कि उन्हें मेरे चेहरे से डर लगता है. वो कहते थे कि मुझे दिखाई नहीं पड़ता और मैं ठीक से दौड़ नहीं पाती हूं. मैंने कभी उनकी बात का बुरा नहीं माना. मैं घर आकर अपनी गुड़िया के साथ खेलने लगती थी."

बड़े होने पर जब नीतू बाहर निकलती थी तो लोग उन्हें दुपट्टे से चेहरा ढंकने को कहते थे लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया.

वो पूछती हैं, "मेरे साथ जो कुछ हुआ उसमें मेरी कोई ग़लती नहीं है फिर मुझे चेहरा क्यों ढंकूं?"

विरोध प्रदर्शन
Getty Images
विरोध प्रदर्शन

कुछ लोगों ने उन्हें देखकर नाक-भौं सिकोड़ीं तो कइयों ने उनका साथ भी दिया. नीतू बताती हैं,"मेरी बुआ अनीता मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं.

उन्होंने मेरा बहुत ख़याल रखा. वो मेरे बाल संवारती थीं, मेंहदी लगाती थीं और मुझे तैयार करती थीं. मेरी और भी कई सहेलियां हैं और हम खूब गप्पें मारते हैं.''

क्या उनके पिता ने कभी अपने किए पर अफ़सोस ज़ाहिर किया? क्या उन्हें अपनी ग़लती का अहसास है?

"मुझे तो ऐसा नहीं लगता. वो अब भी बदले नहीं हैं. हालांकि मेरे साथ उनका बर्ताव थोड़ा ठीक है. सुबह उठकर वो मुझसे चाय के लिए पूछते हैं और चाय बनाकर पिलाते भी हैं. आज मैंने उनसे मटर-पनीर की सब्जी बनाने के लिए कहा है."

नीतू का कहना है कि वो पुरानी बातों में नहीं जाना चाहतीं और उन्होंने ज़िंदगी का साथ निभाना सीख लिया है. उन्होंने पापा ने कभी माफ़ी नहीं नहीं मांगी फिर भी उन्होंने उन्हें माफ़ कर दिया है.

पिछले तीन साल से वो अपनी मां के साथ आगरा के शीरोज़ कैफ़े में काम कर रही हैं. उनके पापा शादियों में बैंड-बाजा बजाकर थोड़े-बहुत पैसे कमा लेते हैं.

महिला
Getty Images
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नीतू के मन में भले अपने पापा के लिए कड़वाहट न हो लेकिन उनकी मां अपने पति से ख़फ़ा हैं. उन्होंने कहा,"मेरा इनसे कोई रिश्ता नहीं है. हम साथ ज़रूर रहते हैं लेकिन एक ही घर में अजनबियों की तरह हैं."

तो अब नीतू क्या चाहती हैं?

"मैं चाहती हूं कि मेरे आंखें ठीक हो जाएं ताकि अपने मम्मी-पापा का ध्यान रख सकूं,'' वो झट से जवाब देती हैं.

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English summary
Attack Who put the acid she lives with her
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