Atal Bihari Vajpayee: अटल जी का वो फैसला जिसने देश ही नहीं दुनिया को हिला के रख दिया
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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका खास अंदाज शायद ही कोई भूल पाएगा। अपनी खास भाषण शैली, कविताओं के साथ-साथ मनमोहक मुस्कान के लिए पहचाने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी कड़े फैसले लेने के लिए भी विख्यात थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 1998 में उस समय देखने को मिला जब उन्होंने केंद्र की सत्ता संभालते ही एक ऐसा फैसला लिया जिसने देश ही पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम रहने के दौरान न केवल परमाणु परीक्षण को हरी झंडी दी, बल्कि इसे सफल बनाकर भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने में अहम रोल भी निभाया। अटल बिहारी वाजपेयी के इस सपने को पूर्ण रूप देने में पूर्व राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' एपीजे अब्दुल कलाम ने खास भूमिका निभाई। आइये जानते हैं अटल बिहारी वाजपेयी ने किन हालात में ये चौंकाने वाला फैसला लिया...
परमाणु परीक्षण को दी हरी झंडी
अटल बिहारी वाजपेयी, 19 मार्च 1998 को दूसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे, हालांकि वो जिस सरकार का नेतृत्व कर रहे थे वो एक गठबंधन की सरकार थी। इस सरकार में कई क्षेत्रीय पार्टियां शामिल थीं। गठबंधन की सरकार होने की वजह से परमाणु परीक्षण का फैसला आसान नहीं था, बावजूद इसके अटल बिहारी वाजपेयी ने बिना कोई देर किए इस फैसले को रजामंदी दे दी। 11 मई 1998, यही वो दिन था जब राजस्थान के पोखरण में एक के बाद एक तीन परमाणु बमों के सफल परीक्षण के साथ भारत न्यूक्लियर पॉवर बन गया।
इस तरह से न्यूक्लियर पॉवर बना भारत
11 मई 1998 को हुए परमाणु परीक्षण का पूरा कार्यक्रम बेहद गोपनीय रखा गया। भारत ने परमाणु परीक्षण को सफल बनाने के लिए इंडियन आर्मी की मदद ली और आर्मी की 58 इंजीनियरिंग रेजीमेंट इस परीक्षण का हिस्सा बनी थी। केंद्र में वाजपेयी की सरकार बने सिर्फ तीन माह हुए थे और हर कोई इस बात को जानकर हैरान था कि सिर्फ तीन माह के अंदर अटल बिहारी वाजपेयी ने इतना बड़ा कदम उठा लिया।
परमाणु परीक्षण का पूरा कार्यक्रम बेहद गोपनीय रखा गया
इतना ही परमाणु परीक्षण इसलिए भी आसान नहीं था क्योंकि भारत इस बात को जानता था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए उस समय पाकिस्तान को समर्थन दे रही थी। ऐसे में अगर भारत की ओर से किए जा रहे परमाणु परीक्षण की जरा भी भनक अमेरिका या फिर सीआईए को लगी तो ऐसा करना संभव नहीं हो पाएगा। वहीं सीआईए को इस बात का अंदेशा हो गया था कि भारत सरकार साल 1974 के बाद एक बार फिर से परमाणु परीक्षण को अंजाम दे सकती है। ऐसे में भारत के परमाणु वैज्ञानिकों ने पूरे कार्यक्रम बेहद गोपनीय रखा।
'मिसाइलमैन' एपीजे अब्दुल कलाम ने संभाली अहम जिम्मेदारी
'मिसाइलमैन' एपीजे अब्दुल कलाम ने इस परमाणु कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम योगदान दिया। अब्दुल कलाम उस समय डीआरडीओ के अध्यक्ष थे। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसके बिना यह परमाणु परीक्षण संभव नहीं था। दरअसल एपीजे अब्दुल कलाम को उस समय एक छद्म नाम दिया गया और वह अब्दुल कलाम से कर्नल पृथ्वीराज बने। वह कभी भी ग्रुप में टेस्ट वाली साइट पर नहीं जाते थे। वह हमेशा ही अकेले सफर करते ताकि किसी को भी उन पर शक न हो। आर्मी यूनिफॉर्म ने उनका काम आसान कर दिया। सीआईए जासूसों को लगा कि ये सभी आर्मी के ऑफिसर्स हैं और इनके परमाणु वैज्ञानिकों से कोई संबंध नहीं हैं।
आर्मी यूनिफॉर्म में अब्दुल कलाम ने पूरी प्लानिंग को दिया अंजाम
एपीजे अब्दुल कलाम ने आर्मी के कर्नल गोपाल कौशिक के साथ मिलकर पूरी प्लानिंग को अंजाम दिया। 10 मई की रात को पूरा काम किया गया। इस पूरे ऑपरेशन को ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया था। इस दौरान कई कोड्स थे जैसे व्हाइट हाउस, ताज महल और कुंभकरण। डीआरडीओ, एमडीईआर और बार्क के वैज्ञानिक डिटोनेशन जैसे जरूरी काम में लगे हुए थे।
उस समय डीआरडीओ के हेड थे अब्दुल कलाम
डीआरडीओ के हेड के तौर पर अब्दुल कलाम ने उस समय साफ कर दिया था कि वह आने वाले हफ्तों में कोई भी इंटरव्यू नहीं दे पाएंगे। सुबह तीन बजे परमाणु बमों को इंडियन आर्मी के चार ट्रकों के जरिए ट्रांसफर किया गया। इन ट्रकों को कर्नल उमंग कपूर कमांड कर रहे थे। इससे पहले इंडियन एयरफोर्स के एएन-32 एयरक्राफ्ट से मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जैसलमेर बेस लाया गया था। जैसे ही भारत ने तीन परमाणु बमों को डेटोनेट किया और देश ही नहीं पूरी दुनिया इसे जानकर हैरान रह गई थी। हालांकि भारत के इस परीक्षण के बाद कई देशों ने प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें अमेरिका, चीन, कनाडा और जापान सबसे आगे थे। वहीं रूस, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस ने भारत के इस कदम की निंदा करने से इंकार कर दिया था।
अटल जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके परमाणु कार्यक्रम की दी पूरी जानकारी
परमाणु परीक्षण की सफलता के बाद 11 मई की गर्म दोपहर को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सरकारी आवास 7 रेस कोर्स में सामने आए और परमाणु कार्यक्रम की पूरी जानकारी दी। वाजपेयी ने ऐलान किया कि भारत ने सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया। उन्होंने कहा, 'भारत अब एक परमाणु शक्ति से संपन्न देश है। अब हमारे पास भी एक बड़े बम की क्षमता है। लेकिन हमारे बम कभी भी आक्रामकता का हथियार नहीं होंगे।'
जब वाजपेयी ने कहा- भारत अब एक परमाणु शक्ति से संपन्न देश है
अटल बिहारी वाजपेयी ने बाद में इस परमाणु परीक्षण का पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को दिया था। नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि देते हुए वाजपेयी ने कहा था कि मई 1996 में जब मैंने उनके बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, तो उन्होंने मुझे बताया था कि परमाणु बम तैयार है। मैंने तो सिर्फ विस्फोट किया है। दरअसल में पीवी नरसिम्हा राव ने दिसंबर 1995 में परीक्षण की तैयारी की थी, लेकिन तब उन्हें किन्हीं वजहों से अपना ये फैसला टालना पड़ा था। इसके बाद जब 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे तो भी उन्होंने परमाणु परीक्षण की पूरी प्लानिंग को हरी झंडी दे दी थी। हालांकि उस समय उनकी सरकार महज 13 दिन में ही गिर गई जिसकी वजह से पूरा प्लान टालना पड़ गया था।