अटल बिहारी वाजपेयी को जब कविता पाठ के दौरान लड़कियों ने किया हूट
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक अच्छे नेता ही नहीं, बल्कि एक अच्छे कवि भी थे। उनकी साहित्यिक रचनाएं उनके समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय रही हैं। 'मौत से ठन गई', 'दो अनुभूतियां', 'एक बरस बीत गया' के अलावा कई ऐसी रचनाएं हैं, जिन्हें वाजपेयी के समर्थक काफी पसंद करते हैं।
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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक अच्छे नेता ही नहीं, बल्कि एक अच्छे कवि भी थे। उनकी साहित्यिक रचनाएं उनके समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय रही हैं। 'मौत से ठन गई', 'दो अनुभूतियां', 'एक बरस बीत गया' के अलावा कई ऐसी रचनाएं हैं, जिन्हें वाजपेयी के समर्थक काफी पसंद करते हैं। लिखने में वाजपेयी की रूचि कॉलेज दिनों से ही थी। शब्दों को वो इस तरह कविता में पिरोते थे कि पढ़ने वाले का मन खुश हो जाता। उनकी कविता सुनकर तो एक बार लड़कियों ने हूटिंग भी करनी शुरू कर दी थी।
बात वाजपेयी के कॉलेज दिनों की है। अटल बिहारी वाजपेयी तब बीए की पढ़ाई कर रहे थे। आगरा कॉलेज में एक प्रतियोगिता रखी गई थी। इस कॉलेज में लड़कियों का डेविस नाम का एक हॉस्टल था। इस हॉस्टल की लड़कियों ने प्रतियोगिता के लिए एक खुराफाती प्लानिंग की हुई थी। लड़कियों ने तय किया था कि ग्वालियर से आए कवियों के लिए खूब हूट किया जाएगा। ऐसे में जब प्रतियोगिता शुरू होने में जब कुछ ही समय था, तो वो आकर पहली पंक्ति में बैठ गईं।
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लड़कियों ने कवि वीरेंद्र मिश्र की कविचा पर हूटिंग की। इसके बाद वाजपेयी स्टेज पर आए और अपनी वीर रस की कविता सुनानी शुरू की- 'नौ अगस्त सन ब्यालिस का स्वर्णिम रक्त प्रभात, जली आंसुओं की कारा में काली रात।' उन्होंने ये कविता सुनानी शुरू ही कि थी कि वहां बैठी लड़कियाों ने हूटिंग शुरू कर दी। लड़कियां 'प्रभात-प्रभात' कह कर हूट करने लगीं। लड़कियों की हूटिंग सुनकर वाजपेयी थोड़े हैरान हुए, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी कविता रोकी नहीं। उन्होंने कविता सुनाना जारी रखा और फिर तो जैसे हर कोई मंत्रमुग्ध होकर उनकी कविता सुनने लगा।
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