जब अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 22 वर्षों बाद कोई अमेरिकी राष्ट्रपति आया भारत, बिल क्लिंटन ने पांच दिन भारत में तो पांच घंटे बिताए पाकिस्तान
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश नीति का पुरोधा माना जाता है और साल 2000 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत का दौरा किया तो यह बात एक बार फिर से साबित हो गई। विदेश नीति के जानकार क्लिंटन के उस दौरे को आज तक अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों की नई शुरुआत का अध्याय करार देते हैं। बिल क्लिंटन 22 वर्षों में भारत का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे। उनसे पहले साल 1978 में जिमी कार्टर ने भारत का दौरा किया था और इसके बाद से कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति भारत नहीं आया था। बिल क्लिंटन पांच दिन के लिए भारत में थे तो सिर्फ पांच घटों के लिए ही पाकिस्तान में रुके थे। ये भी पढ़ें-पक्ष-विपक्ष को ठहाके लगाने के लिए मजबूर कर देते थे अटल बिहारी वाजपेयी
जब क्लिंटन ने की आलोचना
बिल क्लिंटन मार्च 2000 में पांच दिवसीय दौरे पर भारत आए थे। बतौर राष्ट्रपति क्लिंटन का भारत आना एक असाधारण घटना मानी गई थी। पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में कारगिल की जंग के बाद से तनाव आना शुरू हो गया था। लेकिन इस तनाव की वजह से अमेरिका का झुकाव भारत की तरफ होगा, ये किसी ने भी नहीं सोचा था। क्लिंटन भारत आए और उन्होंने देश की संसद को संबोधित किया। क्लिंटन ने अपने संबोधन में भारत की प्राचीन सभ्यता को पहचाना और यहां के लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी सराहा। क्लिंटन ने संसद में कहा कि अमेरिका के पास आधी सदी से भी ज्यादा समय से परमाणु बम है तो वह यह भी कहना नहीं भूले कि भारत ने साल 1998 में जो परमाणु परीक्षण किया, वह देश को गलत दिशा में ले गया। वाजपेयी ने क्लिंटन को उन्हीं के अंदाज में जवाब भी दिया।
वाजपेयी ने दिया क्लिंटन को जवाब
क्लिंटन के भाषण के बाद वाजपेयी ने भाषण दिया। उन्होंने कहा, 'उपनिवेशबाद के साथ हमारा अनुभव स्वतंत्रता के फैसले और स्वायत्ता की कार्रवाई को और तेजी से जाग्रत कर देता है।' साल 1998 में परमाणु परीक्षण की वजह से अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इन प्रतिबंधों के बाद करगिल युद्ध हुआ और इसके एक वर्ष बाद अमेरिका राष्ट्रपति का दौरा हुआ। प्रतिबंधों के बाद भी भारत की आर्थिक विकास दर में कोई कमी नहीं आई बल्कि देश की तरक्की ने तेज रफ्तार से आगे बढ़ना शुरू कर दिया था।
दोनों देशों के बीच साइन हुआ विजन स्टेटमेंट
क्लिंटन जब भारत पहुंचे तो कश्मीर में 35 सिखों का कत्ल हो गया। क्लिंटन ने यहां आकर आतंकवाद की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष तौर पर दोषी ठहराया। यहां पर यह बात भी गौर करने वाली है कि जब क्लिंटन भारत पहुंचे थे तो उस समय पाकिस्तान के साथ कारगिल की जंग हो चुकी थी और कंधार हाईजैक प्रकरण ने भी इस्लामाबाद के साथ रिश्ते तल्ख कर दिए थे। साथ ही पाक में हुए तख्तापटल की वजह से इस देश की छवि भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो गई थी। बिल क्लिंटन और वाजपेयी ने एक साझा 'विजन' स्टेटमेंट साइन किया। इस स्टेटमेंट को दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच 'रिश्तों' में नई शुरुआत के तौर पर देखा गया। इस डॉक्यूमेंट को ' 21वीं सदी में अमेरिका और भारत के रिश्तों के लिए शांति, समृद्धता, लोकतंत्र और आजादी के लिए आपसी सहयोग की सफलता को जरूरी' करार दिया गया था।
क्लिंटन ने किया वाजपेयी का स्वागत
मार्च 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन ने भारत दौरा खत्म किया तो उन्होंने वाजपेयी को अमेरिका आने का इनवाइट दिया। वाजपेयी सितंबर 2000 में अमेरिका दौरे पर गए और यहां राष्ट्रपति क्लिंटन ने उनका स्वागत किया। यही वह मौका था जब वाजपेयी ने भारत और अमेरिका को एक प्राकृतिक साझेदार करार दिया था। वाजपेयी ने यहां पर अमेरिकी कांग्रेस के ज्वॉइन्ट सत्र को संबोधित किया। जिस समय वाजपेयी ने अमेरिका का दौरा किया उस समय बिल क्लिंटन आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया था।