मसूरी प्रवास पर मित्तल जी के यहां ही क्यों रुकते थे अटल बिहारी वाजपेयी
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे वाजपेयी ने 93 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। एम्स में भर्ती वाजपेयी की हालत गंभीर बनी हुई थी और वो वेंटिलेटर पर थे। पांच दशक से ज्यादा वक्त तक भारतीय राजनीति में एक अहम चेहरा रहे वाजपेयी के संसद के भीतर की कई बातें हैं तो उससे बाहर भी उनसे जुड़े कई किस्से हैं। कुछ ऐसा ही किस्सा है, उनके फेवरेट हिल स्टेशन मसूरी का।
साल में दो बार मसूरी आते थे वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी को छुट्टी पर पहाड़ों पर आना पसंद था और उनका फेवरेट हिल स्टेशन मसूरी था। अमूमन साल में दो बार दिल्ली की राजनीतिक गहमागहमी से दूर वो मसूरी आते थे। खास बात ये है कि वो जब भी मसूरी आते थे तो देहरादून में मित्तल परिवार के यहां ही रुकते थे। इस परिवार से उनके पारिवारिक रिश्ते थे और कई सालों तक अपने मसूरी प्रवास के दौरान यहां रुकते रहे।
वाजपेयी के जनसंघ के साथी थे नरेंद्र मित्तल
स्वर्गीय नरेंद्र स्वरूप मित्तल मूलरूप और अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ में साथ काम किया था। दोनों की दोस्ती बढ़ी तो वाजपेयी पूरे मित्तल परिवार के लिए ही खास हो गए। परिवार के सदस्य बताते हैं कि वाजपेयी स्वाभाव से सरल थे। वह बड़े ही सहज अंदाज से सबसे मिलते थे। परिवार के सदस्य कहते हैं कि जब वो घर आते थे तो कभी लगता ही नहीं था कि वो इतने बड़े राजनेता हैं और उनका इतना नाम है।
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शादी में दूल्हे से मांगी थी इजाजत
मित्तल परिवार के सदस्य भाजपा नेता पुनीत मित्तल बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी उनके विवाह समारोह में पहुंचे थे और खुद उनका हाथ पकड़ते हुए विवाह पंडाल की ओर लेकर गए थे। पुनीत बताते हैं कि करीब 4 घंटे वो उनके विवाह समारोह में रहे और जब जाने लगे तो मेरे पास आकर बोले कि दूल्हे राजा क्या मुझे जाने की इजाजत है।