क्या कहा था पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के बारे में
इस 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से अपना भाषण दे रहे थे तो उन्होंने कश्मीर नीति पर कहा कि सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर पर बनाई गई नीति के जरिए इससे जुड़े हर विवाद को सुलझाना चाहिए।
नई दिल्ली। इस 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से अपना भाषण दे रहे थे तो उन्होंने कश्मीर नीति पर कहा कि सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर पर बनाई गई नीति के जरिए इससे जुड़े हर विवाद को सुलझाना चाहिए। वाजपेयी जब देश के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने कश्मीर के लिए एक नए डाक्ट्रिन यानी नए सिद्धांत की शुरुआत की थी। आज भी लोग इस सिद्धांत को इंसानियत यानी मानवता, जम्हूरियत यानी लोकतंत्र और कश्मीरियत यानी कश्मीरी आवाम के लिए पहचान। आज भी इसे वाजपेयी डॉक्ट्रिन के नाम से जानते हैं। ये भी पढ़ें-अटल बिहारी वाजपेयी को कभी परवेज मुशर्रफ भी नहीं भूला सकते
कब लाए वाजपेयी कश्मीर का पर सिद्धांत
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने वर्ष 2003 में कश्मीर में शांति के लिए जो तीन सिद्धांत बताए थे, उनका जिक्र पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती से लेकर अलगाववादी नेता तक करते हैं। वर्ष 2003 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई अपने कश्मीर दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने एक रैली की और कश्मीर की जनता को विधानसभा चुनावों में बढ़-चढ़कर भागीदारी पेश करने के लिए धन्यवाद दिया। उस समय वाजपेई ने जनता से कहा कि कश्मीर की जनता को गोलियों का जवाब वोट से देना चाहिए। उस समय ही वाजपेयी ने कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत, इन तीन सिद्धांतों के बारे में बात की।
क्या थी कश्मीर के लिए सोच
वाजपेई ने जनता को भरोसा दिया कि दिल्ली के दरवाजे हमेशा उनके लिए खुले हैं। दिल्ली कभी कश्मीर के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं करेगा। आज भी विशेषज्ञ मानते हैं कि कहीं न कहीं वर्तमान सरकार की आम जनता से संवाद की कमी संकट को बढ़ावा दे रही है। वाजपेयी के कश्मीर पर बनाए गए सिद्धांत को आज भी भारत और दुनिया में काफी सराहा जाता है। इस सिद्धांत का अहम हिस्सा था पाकिस्तान के साथ जम्मू कश्मीर समेत सभी मुद्दों को शांति से सुलझाना। वह मानते थे कि कश्मीर और दूसरे विवादित मुद्दों को बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के जरिए।
नवाज ने कहा आप पाकिस्तान में भी जीत सकते हैं चुनाव
19 फरवरी 1999 को वाजपेयी भारत की ओर से शांति का संदेश लेकर बस से पाकिस्तान के लाहौर शहर गए। लाहौर के गर्वनर हाउस में उन्होंने भाषण दिया और साथ ही वह मीनार-ए-पाकिस्तान भी गए। यहां पर उन्होंने इस बात को दोहराया कि भारत हमेशा से ही पाकिस्तान के वजूद का समर्थक रहा है। वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मकसद से दोस्ती का हाथ बढ़ाया। वाजपेयी ने उस समय के पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के साथ मिलकर लाहौर का घोषणापत्र साइन किया। दोनों पक्षों ने जम्मू कश्मीर समेत सभी द्विपक्षीय मुद्दों को शांति पूर्ण तरीके से सुलझाने का फैसला लिया। पाकिस्तान में वाजपेयी न सिर्फ एक जोशीला भाषण दिया बल्कि उनका वह भाषण काफी इमोशनल भी था। वाजपेयी ने शरीफ को यह कहने पर मजबूर कर दिया, 'वाजपेयी साहब, आप पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं।' ये भी पढ़ें-जब पक्ष-विपक्ष को ठहाके लगाने के लिए मजबूर कर देते थे अटल बिहारी वाजपेयी