अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष का गुस्सा झेलकर किया था किसी इजरायली पीएम का दिल्ली में स्वागत
देश के 10वें प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को 94वें वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से देश के नेता ही नहीं बल्कि विदेशों के भी नेता दुखी होंगे।
नई दिल्ली। देश के 10वें प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को 94वें वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से देश के नेता ही नहीं बल्कि विदेशों के भी नेता दुखी होंगे। वाजपेयी ऐसे पीएम के तौर पर याद किए जाते रहेंगे जिन्होंने विदेश नीति से जुड़े साहसिक फैसलों को लेने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई थी। उनके ऐसे ही साहसिक फैसलों में शुमार है इजरायल के पूर्व पीएम एरियल शेरॉन का भारत आना। साल 2003 में शेरॉन पहले ऐसे इजरायली पीएम थे जो भारत दौरे पर आए थे। शेरॉन के उस भारत दौरे को अगर एतिहासिक माना जाता है तो वाजपेयी के उस फैसले को आज तक एक बोल्ड फैसला माना जाता है। ये भी पढ़ें-क्या कहा था वाजपेयी ने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के बारे में
शैरॉन का एतिहासिक भारत दौरा
वर्ष 2003 में एक इजरायली पीएम शेरॉन जब भारत आए तो केंद्र में वाजपेयी की सरकार थी। 11 जनवरी 2014 को शैरॉन का निधन हो गया लेकिन उनका पहला भारतीय दौरा आज तक इतिहास में दर्ज है। दुनिया भर में जहां शैरॉन की एक अलग अहमियत थी तो भारत उन्हें हमेशा भारत आने वाले पहले इजरायली पीएम के तौर पर याद रखता है। नौ सितंबर 2003 को शैरॉन भारत दौरे पर दिल्ली पहुंचे। उनके इस एतिहासिक दौरे से एक दशक पहले ही दोनों देशों के रिश्तों को एक नया मुकाम मिला था। उस समय तक इजरायल तो भारत का करीबी होने का दावा करता था लेकिन भारत ने हमेशा अपने संबंधों को कम अहमियत दी।
वाजपेयी की सरकार और बदले इजरायल से रिश्ते
मुंबई में सिर्फ एक इजरायली काउंसलर ऑफिस के साथ भारत संबंधों को चला रहा था और ज्यादातर संबंध वाणिज्यिक थे। फिलीस्तीन के साथ संबंधों के चलते भारत, इजरायल को लेकर हमेशा ही आशंकित रहता था। अरब देशों के साथ संबंध न बिगड़ने पाएं इसलिए हमेशा फूंक फूंक कर कदम रखा गया। वर्ष 1992 के बाद 1999 का दौर एक ऐसा समय था जब भारत और इजरायल फिर से करीब आए। भारत की विदेश नीति में अमेरिका और इजरायल के साथ संबंधों को गहरा करने पर जोर दिया गया। इसी समय कारगिल की जंग हुई और इजरायल भारत का एक मददगार साथी बनकर उभरा।
जसवंत सिंह और आडवाणी को भेजा इजरायल
इजरायल तब तक भारत के लिए हथियार सप्लाई करने वाले एक बड़े देश में तब्दील हो चुका था। इसके बाद दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध मजबूत हुए और कई आधिकारिक दौरों को अंजाम दिया गया। तत्तकालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी समेत विदेश मंत्री जसवंत सिंह भी इजरायल पहुंचे। वरिष्ठ पत्रकार अदिति भादुड़ी की मानें तो जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने शैरॉन को भारत आने का न्यौता दिया था तो उन्हें विपक्ष का खासा विरोध तक झेलना पड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने तो उनके इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण तक करार दे डाला था।