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जब अटलजी ने अपनी कविता से पाकिस्तान के चेहरे को किया था बेनकाब

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बेंगलुरु। आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है। बीते साल 16 अगस्त को 'भारत रत्न' से सम्मानित वाजपेयी का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया था।उनकी पहली पुण्यतिथि पर उनकी कविता का जिक्र करें बिना उनको श्रृद्धा सुमन अर्पित करना अधूरा होगा। पत्रकारिता से राजनीति में आए अटल बिहारी वाजपेयी ने कई मशहूर कविताएं लिखीं। जिनमें पाकिस्तान को लेकर लिखी उनकी एक कविता मौजूदा हालात में और भी प्रासंगिक हो गयी हैं। इस कविता में अटलजी ने ना सिर्फ पाकिस्तान को धोया है बल्कि सारी दुनिया के सामने पाकिस्तान के असली चेहरे को बेकनाब किया था।

Atal bihari ji

अटल बिहारी ने कविता के माध्यम से पाकिस्तान पर किया था हमला

इस कविता के जरिए उन्होंने पाकिस्तान की नापाक हरकतों और उसे समर्थन देने वाले देशों को जमकर कोसा भी। वाजपेयी की यह कविता उनकी सबसे अधिक लोकप्रिय कविता ये है उनकी कविता जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को जमकर कोसा है। पत्रकारिता से राजनीति में आए अटल बिहारी वाजपेयी ने कई मशहूर कविताएं लिखीं। आइये हम भी आज वह गाते हैं और पाकिस्तान समेत भारत के दुश्मनों को संदेश देते हैं कि......

''एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतंत्रत भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।

अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता, अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता।
त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतंत्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता।

इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो, चिंगारी का खेल बुरा होता है।
औरों के घर आग लगाने का जो सपना, वो अपने ही घर में सदा खरा होता है।

अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र ना खोदो, अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ।
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखे खोलो, आजादी अनमोल ना इसका मोल लगाओ।

पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है? तुम्हें मुफ्त में मिली न कीमत गई चुकाई।
अंग्रेजों के बल पर दो टुकड़े पाए हैं, मां को खंडित करते तुमको लाज ना आई ?

अमेरिकी शस्त्रों से अपनी आजादी को दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो।
दस बीस अरब डॉलर लेकर आने वाली बरबादी से तुम बच लोगे यह मत समझो।

धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो।
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से भारत का शीष झुका लोगे यह मत समझो।

जब तक गंगा मे धार, सिंधु मे ज्वार, अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष,
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे अगणित जीवन यौवन अशेष।

अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध, काश्मीर पर भारत का सर नही झुकेगा
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतंत्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा।

Comments
English summary
Atal Bihari Vajpayee, who came into journalism from politics, wrote many famous poems. In which one of his poems written about Pakistan has become even more relevant in the current situation. In this poem, Atalji has not only washed away Pakistan, but had unabashed the real face of Pakistan in front of the whole world.
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