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ऐन वक्त पर संघ के चक्कर इसलिए काट रहे हैं भाजपा के दिग्गज

By Mayank
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mohan bhagwat
नई दिल्ली। ऐक्ज‍िट पोल में भले ही भाजपा 'लहर' के साथ उभर कर आई हो, पर एक ऐसी हकीकत भी पुरवाई की तरह चल रही है, जो इस लहर को कमजोर करने की कोश‍िश में है। यह पुरवाई है 'आरएसएस' की। दरअसल जो आंकड़े ऐक्ज‍िट पोल में भाजपा के खाते में जाते दिख रहे हैं, उनमें और संघ के गुणा-भाग में अंतर दिखाई दे रहा है।

संघ का मानना है कि भाजपा को 189-218 सीटें मिलेंगी। 'आम आदमी पार्टी' को लेकर संघ का आंकलन चौंकाता है। संघ का साफ-साफ कहना है कि अरव‍िंद केजरीवाल का दल तीसरा प्रमुख दल बनकर उभरेगा। गौरतलब है कि चुनावी पर‍िणाम से पहले संघ के आंकलन में भाजपा 220 सीटें भी हास‍िल नहीं कर पा रही है। सर्वे के मुताबिक भाजपा को हर राज्य में ऐक्ज‍िट पोल से कहीं अलग आंका गया है।

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दरअसल संघ ने 'आम आदमी पार्टी' को तवज्जो तभी से देना शुरु कर दिया था, जब इस नवोद‍ित पार्टी ने दिल्ली की सत्ता संभाली थी। संघ का 'आप' को प्रमुखता देने का एक कारण यह भी है कि केजरीवाल ने 400 से अध‍िक उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से ज्यादातर के निशाने पर भाजपा ही थी। इसी क्रम में पेंच यह भी फंस रहा है कि संघ का मुरली मनोहर जोशी से मोहभंग हुआ है।

इस मोहभंग का कारण जोशी का अहंकारी होना, बार-बार सीट बदलना, मतदाता में सकारात्मक छव‍ि ना होना है। वाराणसी, इलाहाबाद जैसी सीटों पर भाजपा के पिछले उम्मीदवार, सांसद क्षेत्र की जनता को खास प्रभाव‍ित नहीं कर पाए। लिहाजा मोदी की छव‍ि के सहारे ही सारी खाम‍ियों को खूबी में बदलने की कोश‍िश की गई।

(यह लेख जनसत्ता के संपादकीय का ह‍िस्सा है, जिसमें आमूल-चूल तथ्य जोड़कर एक तस्वीर उभारने की कोश‍िश की गई है।)

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English summary
At Final match BJP leader is running around RSS due to these important reasons.
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