भारत में कोविशील्ड का साइड इफेक्ट, चेहरे पर दिख रहा है असर
नई दिल्ली, 24 जून: भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जा रही ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन के गंभीर साइट इफेक्ट सामने आए हैं। ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड नाम से बना रहा है। दो अलग-अलग अध्ययनों में सामने आया है कि इंग्लैड और इंडिया में इस वैक्सीन को लगवाने वाले कुछ लोगों को गुइलेन-बेरी सिंड्रोम हुआ है। इससे गंभीर समस्याएं होती हैं और चेहरे पर सीधा असर पड़ता है।
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सात मामले केरल से
भारत और इंग्लैंड के चिकित्सकों ने दो अलग-अलग अध्ययनों में कहा है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोविड वैक्सीन लेने वाले ग्यारह लोगों में गुइलेन-बेरी सिंड्रोम देखने को मिला है जो कि एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है। इसमें सात केस केरल के एक सेंटर में वैक्सीन लेने वालों में मिले हैं। चार मामले यूके के नॉटिंघम से आए हैं। इन सभी 11 लोगों को 10 से 22 दिन पहले वैक्सीन दी गई थी।
क्या है ये सिंड्रोम, कैसे कर रहा असर
ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (भारत में कोविशील्ड) लेने से कुछ लोगों में जो न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या देखी गई है, उसे गुलियन-बेरी सिंड्रोम नाम दिया गया है। ये तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारी है। ये तंत्रिका तंत्र में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं को खत्म करती है। इस बीमारी में चेहरे की नसें कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में चेहरे पर इसका काफी असर दिखता है। वैक्सीन लेने के बाद जिन लोगों को ये सिंड्रोम हुआ, उनके चेहरे पर लकवे जैसा असर दिखा।
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भारत के लिए क्यों चिंता का सबब
वैक्सीन लेने के बाद गुलियन-बेरी सिंड्रोम नाम की इस बीमारी के मामले सामने आने के बाद भारत और इंग्लैंड में इसको लेकर सबसे ज्यादा चिंताएं हैं। भारत में सबसे ज्यादा कोविशील्ड का ही इस्तेमाल हो रह है। करोड़ों लोगों को ये वैक्सीन दी गई है। भारत में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का भी इस्तेमाल हो रहा है लेकिन वो काफी कम है। ऐसे में इस सिंड्रोम ने चिंताएं बढ़ी दी हैं।