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2021 में बिहार और बंगाल में एक साथ कराए जा सकते हैं चुनाव, जानिए क्या हैं संवैधानिक विकल्प?

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बेंगलुरू। बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है और फिलहाल चुनाव आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है। कोरोना काल में ही बिहार में विधानसभा चुनाव को संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग ने मतदान को लेकर नई गाइडलाइन भी गढ़नी शुरू कर दी है, लेकिन सवाल है कि क्या पूरे देश में कोरोना महामारी के बढ़ते नए मामलों के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव कराना उचित होगा। यह इसे टाला भी जा सकता है।

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आपातकाल (कोरोना काल) में केंद्र- राज्य सरकार के पास क्या हैं विकल्प?

आपातकाल (कोरोना काल) में केंद्र- राज्य सरकार के पास क्या हैं विकल्प?

ऐसी परिस्थितियों में केंद्र और राज्य सरकार के पास विकल्प है कि महामारी जनित आपातकाल के लिए संविधान में उल्लेखित शक्तियों का इस्तेमाल करके बिहार विधानसभा के सत्र को 6 महीने से एक वर्ष तक बढ़ाकर 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव तक बिहार विधानसभा चुनाव को टाल करके दोनों राज्यों का चुनाव एक साथ अप्रैल-मई में करवाए जा सकते हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पर रोक को लेकर दायर की गई है याचिका

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पर रोक को लेकर दायर की गई है याचिका

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पर रोक लगाने को लेकर गत मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर ली है। हालांकि सुनवाई किस बेंच में होगी और कब होगी यह तारीख तय नहीं हुआ है। इससे पहले भी पटना हाईकोर्ट में भी दो याचिकाओं की सुनवाई लंबित हैं, जिसमें कोरोना काल का हवाला देकर विधानसभा चुनाव टालने की गुजारिश की गई है। इस याचिका में अभी तक चुनाव आयोग की टीम के बिहार दौरा नहीं करने को भी आधार बनाया गया है।

देश में कोरोना के रोजाना आ रहे 65000,67000 से अधिक नए मरीज

देश में कोरोना के रोजाना आ रहे 65000,67000 से अधिक नए मरीज

कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराने का सवाल इसलिए लिए भी महत्वपूर्ण हो चुका है, क्योंकि देश में कोरोना के रोजाना आ रहे 65000,67000 नए मरीजों की तादात महामारी घातकता और उसकी जवाबदेही से जुड़ा हुआ है। किसी भी चुनाव के लिए मतदान सबसे अहम कड़ी है और कोरोना काल में संक्रमण से सुरक्षा के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के महत्त्व से मुंह नही मोड़ा जा सकता है। मामले की घातकता को देखते हुए समझा जा सकता है कि नवंबर तक देश में नए मामलों का दर 95000 प्रतिदिन आने लगे, तो आश्चर्य नहीं होगा।

संविधान में उल्लेखित आपात विधानों पर चर्चा करनी आवश्यक हो जाती है

संविधान में उल्लेखित आपात विधानों पर चर्चा करनी आवश्यक हो जाती है

यही कारण है कि क्या ऐसे हालत में बिहार विधानसभा चुनाव कराना उचित होगा? इन्हीं सवालों का तलाशने के लिए संविधान में उल्लेखित विधानों पर चर्चा करनी आवश्यक हो जाती है कि क्या संविधान में विपरीत परिस्थितियों ऐसी उलझनों से निपटने के लिए कोई प्रावधान उपलब्ध है अथवा नहीं। जवाब संविधान में उपलब्ध है। विधानसभा सभा का आपातकाल जैसी परिस्थितियों में बढ़ाया जा सकता है। हालांकि यह सिर्फ छह महीनों के लिए बढ़ाया जा सकता है।

आपातकाल के दौरान विधानसभा के सत्र को 6 माह बढ़ाया जा सकता है

आपातकाल के दौरान विधानसभा के सत्र को 6 माह बढ़ाया जा सकता है

प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है, जिसके बाद पुनः चुनाव कराया जाना सुनिश्चित होता है। आपातकाल के दौरान विधानसभा के सत्र को बढ़ाया जा सकता है अथवा इसे भंग किया जा सकता है। वैसे तो विधान सभा का एक सत्र पांच वर्षों का होता है, लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पांच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। साथ ही, विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है।

अनुच्छेद 172(1) के तहत बढ़ सकता है बिहार विधानसभा का कार्यकाल

अनुच्छेद 172(1) के तहत बढ़ सकता है बिहार विधानसभा का कार्यकाल

महामारी की घातकता को देखते हुए वर्तमान बिहार विधानसभा के कार्यकाल को 6 महीने या एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है और पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में संभावित विधानसभा के साथ बिहार चुनाव भी आयोजित कराया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 172(1) के अनुसार विधानसभा का कार्यकाल राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान ही बढ़ाया जा सकता है।

अधिकतम एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है विधानसभा का कार्यकाल

अधिकतम एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है विधानसभा का कार्यकाल

राष्ट्रीय आपातकाल में एक बार में अधिकतम एक साल के लिए विधानसभा के कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है और आपातकाल खत्म होने के 6 महीने के भीतर विधानसभा का चुनाव कराना अनिवार्य होगा। यह विशेषाधिकार भारतीय संसद को प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 352 में केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति को देश में आपातकाल लगाने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन अभी न तो देश में आपातकाल लागू है और ना हीं संसद चलने के आसार है। शायद ही संसद का मानसून सत्र नियमित रूप से समय पर चल सके।

चुनाव टालने के लिए राष्ट्रपति शासन भी हो सकता है एक बड़ा विकल्प?

चुनाव टालने के लिए राष्ट्रपति शासन भी हो सकता है एक बड़ा विकल्प?

बिहार में विधानसभा चुनाव का कार्यकाल समाप्त होने की स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन का एक विकल्प है। संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत अगर राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा होती है तब राष्ट्रपति खुद संज्ञान लेकर या राज्यपाल की सिफारिश पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। तब राज्यपाल राष्ट्रपति के नुमाइंदे के तौर पर राज्य के मुखिया होंगे। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद अगर चुनाव टालने की नौबत आती है तो राष्ट्रपति शासन का विकल्प केंद्र सरकार के पास है।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चुनाव टालने की याचिका मंजूर कर ली है

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चुनाव टालने की याचिका मंजूर कर ली है

कोरोना काल में बिहार विधानसभा चुनाव पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर ली है। हालांकि अभी याचिकी की सुनवाई कब होगी यह तारीख तय नहीं हुआ है। इससे पहले पटना हाईकोर्ट में भी दो याचिकाओं पर सुनवाई लंबित है। याचिका में अभी तक चुनाव आयोग की टीम के बिहार दौरा नहीं करने को आधार बनाया गया है।

 इससे पहले पटना हाईकोर्ट में भी दो याचिकाओं पर सुनवाई लंबित है

इससे पहले पटना हाईकोर्ट में भी दो याचिकाओं पर सुनवाई लंबित है

पटना हाईकोर्ट में बिहार में विधानसभा चुनाव टालने के लिए दी गई याचिका में कोरोना और बाढ़ खत्म होने तक चुनाव स्थगित करने की गुजारिश की गई है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि चुनाव की अधिसूचना पर रोक लगाने का निर्देश निर्वाचन आयोग को दिया जाए।

आयोग 17वीं विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बिहार नहीं पहुंचा है

आयोग 17वीं विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बिहार नहीं पहुंचा है

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के समय से आयोग की टीम चुनाव के तीन से चार महीने पहले दौरा शुरू कर देती थी, लेकिन 17वीं विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर अभी तक आयोग की टीम बिहार नहीं आई है।

कोरोना में चुनाव टालने के लिए 3 याचिकाएं पटना हाईकोर्ट में लंबित है

कोरोना में चुनाव टालने के लिए 3 याचिकाएं पटना हाईकोर्ट में लंबित है

पटना हाईकोर्ट में तीन याचिकाओं पर सुनवाई लंबित है। हाईकोर्ट में दायर याचिका में भी कोरोना काल और बाढ़ को देखते हुए बिहार विधानसभा चुनाव 2020 टालने को आधार बनाया गया है। पटना हाईकोर्ट में जुलाई के दूसरे हफ्ते में अधिवक्ता बद्री नारायण सिंह और चौथे हफ्ते में एक राजनीतिक दल की ओर से शैलेंद्र कुमार ने चुनाव टालने को लेकर एक-एक जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद तीसरी याचिका गत दिनों दायर हुई है। हालांकि तीनों में किसी याचिका को सुनवाई के लिए अब तक स्वीकार नहीं किया है।

हाइकोर्ट में दायर की गई याचिकाओं को भी मंगा सकता सुप्रीम कोर्ट

हाइकोर्ट में दायर की गई याचिकाओं को भी मंगा सकता सुप्रीम कोर्ट

लॉकडाउन की वजह से मार्च से ही हाईकोर्ट वर्चुअल मोड में बेहद जरूरी सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है वह सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर सकता है। वह पटना हाईकोर्ट लंबित याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए तलब कर सकता है।

Comments
English summary
The term of the Bihar Legislative Assembly expires in November and the Election Commission has started preparations for the Assembly elections in Bihar. In order to conduct the assembly elections in Bihar during the Corona era, the Election Commission is preparing to formulate new guidelines regarding voting, but the question is whether it would be appropriate to hold the assembly elections in Bihar in the midst of a growing case of Corona epidemic.
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