जम्मू कश्मीर में मार्च में हो सकते हैं चुनाव, आयोग ने की पहली बैठक
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद भारत सरकार यहां चुनाव की संभावनाएं तलाश रही है। सरकार इस बात की कोशिश कर रही है कि यहां जल्द से जल्द चुनाव कराए जा सके। माना जा रहा है कि सरकार चाहती है कि अगले वर्ष मार्च माह तक घाटी में चुनाव करा लिए जाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बाबत गृह मंत्रालय ने संकेत दे दिए हैं। मंगलवार को चुनाव आयोग ने अपनी पहली बैठक की है, इस दौरान सीमा निर्धारण पर चर्चा की गई, साथ ही जम्मू कश्मीर के विभाजन के बाद चुनाव कराने के लिए किन चीजों की आवश्यकता है, इसपर भी चर्चा की गई।
तमाम नियम और शर्तों पर चर्चा
चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि आयोग ने आंतरिक चर्चा की है, हालांकि गृह मंत्रालय से आधिकारिक संवाद इस मामले में अभी नहीं हुआ है। सरकार में वरिष्ठ सूत्र ने बताया चुनाव आयोग सीमा निर्धारण का काम कर रहा है, इसके लिए वह गृह मंत्रालय की भी मदद ले रहा है, जिससे कि जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी में चुनाव की ओ पहला कदम बढ़ाया जा सके। इस दौरान उन तमाम विषयों पर चर्चा हुई, जिससे कि घाटी में पहली बार आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद चुनाव कराए जा सके।
कितनी सीटों पर होगा चुनाव?
सबसे पहले इस बात को सुनिश्चित किया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर रिक्गनिशन एक्ट के बाद यहां कुल 114 सीटें होंगी, जिसमे 24 सीटें उन इलाकों के लिए रिजर्व होंगी जो पीओके में आती है, जिसका मतलब है कि चुनाव कुल 90 सीटों पर होगा। बता दें कि पुरानी विधानसभा में कुल 111 सीटें थीं, जिसमे 24 सीटें पीओके के लिए रखी जाती थी। जबकि चार सीटें लद्दाख के लिए रिजर्व थी। इसका मतलब है कि सात अतिरिक्त सीटें विधानसभा में जोड़ी जाएंगी। हालांकि अभी तक इस पर फैसला नहीं लिया गया है कि किस हिस्से में यह सीटें जोड़ी जाए्ंगी।
भारी सुरक्षा
जम्मू कश्मीर से 1947-48 में बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए थे, जिनके पास वोट देने का अधिकार नहीं है, जानकारी के अनुसार ऐसे लोगों की कुल संख्या तकरीबन आठ लाखे है, जोकि जम्मू में रहते हैं। बता दें कि आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद से ही लगातार घाटी में तनाव का माहौल बना हुआ है, किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
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