केंद्र द्वारा NRC को दोबारा कराने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर केंद्र सरकार की मांग को खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार ने एनआरसी को दोबारा कराने और फिर से जांच करने की मांग की थी। इस मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनआरसी डाटा में आधार की तरह गोपनीयता बनाए रखी जाएगी और 31 अगस्त को फाइनल एनआरसी प्रकाशित होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई भी अभिभावकों में से कोई एक संदेहास्पद वोटर है, या विदेशी घोषित किया गया है, या केस लड़ रहा है, उसका बच्चा 3 दिसंबर 2004 को पैदा हुआ है, तो वह एनआरसी के दायरे से बाहर होगा।
लोगों के नाम 31 अगस्त को ऑनलाइन प्रकाशित करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने असम एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर रखे गए लोगों के नाम 31 अगस्त को ऑनलाइन प्रकाशित करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने कहा कि आधार की तरह ही एनआरसी के आंकड़ों को सुरक्षित रखने के लिए उचित व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पूरी एनआरसी प्रक्रिया को केवल कुछ कानूनी चुनौतियां खड़ी किए जाने की वजह से दोहराने का आदेश नहीं दिया जा सकता।
क्या है एनआरसी?
असम देश का ऐसा इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है। एनआरसी में जिस व्यक्ति का नाम नहीं होता है उसे अवैध नागरिक माना जाता है। दरअसल, इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। इसमें यहां के हर गांव के हर घर में रहने वाले लोगों के नाम और संख्या दर्ज की गई। गौरतलब है कि इसमें उन सभी भारतीय नागरिकों को शामिल किया गया है, जो राज्य में 25 मार्च, 1971 के पहले से रह रहे हो। एनआरसी के जरिए ही असम में रह रहे लोगों की भारतीय नागरिकता का पता लगाया जाता है।