CRPF की लेडी कांस्टेबल को असम राइफल्स के जवान का जवाब, ‘बहादुरी मारने में नहीं बचाने में'
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से सीआरपीएफ लेडी कांस्टेबल का वीडियो वायरल हो रहा है। उनके इस भाषण की लोग तारीफ और आलोचना दोनों कर रहे हैं। इसके बाद सीआरपीएफ ने भी अपनी लेडी कांस्टेबल खुशबू चौहान के भाषण पर सफाई दी। अब इसी कार्यक्रम का एक और वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में असम रायफल्स में रायफलमैन बलवान सिंह मानवाधिकारों पर बोल रहे हैं। लेकिन उनके तर्क बिल्कुल अलग हैं।
'बहादुरी मारने में नहीं बचाने में है'
बलवान सिंह अपने संबोधन में कह रहे हैं कि बहादुरी किसी को मारने में नहीं बल्कि बचाने में है। उन्होंने मानवाधिकार नियमों का पालन किए जाने की वकालत की। उन्होंने आगे कहा कि मानवाधिकारों का अनुपालन कर पाना असंभव है, लेकिन आम लोगों के अधिकारों की रक्षा आखिर करेगा कौन? गौरतलब है कि आईटीबीपी ने 27 सितम्बर को दिल्ली में एक डिबेट का आयोजन किया था। इस डिबेट का टॉपिक था कि कैसे माववाधिकार का पालन करते हुए आतंकवाद से निपटा जा सकता है।
'मानविधाकार प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार'
बलवान सिंह ने अपने भाषण में आगे कहा कि मानवाधिकार वो अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को मिलते हैं, अलग से भारत का संविधान भी नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है। आतंकवाद-नक्सलवाद वाले स्थानों पर शांति स्थापित करने के लिए सुरक्षाबलों को तैनात किया जाता है, लेकिन ये भी सच है कि मानवाधिकार आयोग आवाज वहीं उठाता है जहां पर इनकी अनदेखी होती है।
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'बम बंदूक के शांति स्थापित नहीं'
उन्होंने आगे कहा कि साल 2000 से 2012 तक मणिपुर में पुलिस-सुरक्षाबलों में 1000 फर्जी मुठभेड़ दर्ज हुईं। देश में साल 2016 में पुलिस फायरिंग में 92 नागरिक मारे गए, लाठीचार्ज में भी कई लोगों की मौत हुई। बहादुरी किसी को मारने में नहीं बचाने में होती है, अगर बम-बंदूक के दम पर शांति स्थापित होती तो कश्मीर-छत्तीसगढ़ में शांति हो गई होती। क्रोध को क्रोध से नहीं प्यार से जीता जाता है, अब्राहम लिंकन ने भी गृह युद्ध खत्म करने के लिए दुश्मन को प्यार से जीतने की बात कही थी। असली जंग लोगों के दिल में लड़ी जाती है, इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन कर नहीं बल्कि इनका सम्मान करके जीता जा सकता है।
वीडियो में खुशबू ने क्या कहा
खुशबू चौहान ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि कश्मीर से लेकर छत्तीसगढ़ के जंगलों में सीआरपीएफ के जवान ही आतंकियों और नक्सिलयों से सीधा मुकाबला करते हैं। जब सीमा पर जवान शहीद होता है तो कोई मानवाधिकार की दुहाई नहीं देता लेकिन जब जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगते हैं तो सब उनके साथ खड़े हो जाते हैं। जो कहता है कि हर घर से अफजल निकलेगा तो मेरी बात सुन लो- जिस घर से अफजल निकलेगा उस घर में घुसकर मारेंगे, वो कोख नहीं पलने देंगे जिस कोख से अफजल निकलेगा।
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