खामियों से भरे एनआरसी से मूल याचिकाकर्ता नाखुश, सॉफ्टवेयर की क्षमता पर उठाए सवाल
गुवाहाटी: सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी को लेकर 6 साल पहले याचिका दायर करने वाले मूल याचिकाकर्ता सम पब्लिक वर्क्स(एपीडब्लयू) ने शनिवार को जारी की गई एनआरसी लिस्ट को खामियों से भरा हुआ बताया। उन्होंने कहा कि इसे पुन:सत्यापित करने की उसकी मांग शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने एनआरसी लिस्ट अपडेट करने की प्रक्रिया में इस्तेमाल सॉफ्टवेयर की दस्तावेजों के प्रबंधन की क्षमता पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या इसका तीसरे पक्ष के प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ से निरीक्षण कराया गया था?
शर्मा ने एनआरसी की अंतिम लिस्ट जारी करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अंतिम एनआरसी से तय हो गया है कि असम में अवैध प्रवासियों के मुद्दे का कभी हल नहीं होगा। अगर ये बिना खामियों पूरा किया गया होता तो ये असम के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय होता। आज जारी की गई अंतिम एनआरसी में 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिक याचिकाकर्ता के रूप में एपीडब्ल्यू ने एनआरसी लिस्ट के दोबारा सत्यापन के लिए सुप्रीम कोर्ट में पांच ज्ञापन सौंपे थे लेकिन वो खारिज हो गए।
एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की ओर से 27 फीसदी नामों का पुन:सत्यापन किया गया है, जो रहस्य है। कोई नहीं जानता कि 100 फीसदी दोषरहित थे ये नहीं। शर्मा ने एनआरसी लिस्ट फाइनल करने की प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल सॉफ्टवेयर पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह खामी वाले सॉफ्टवेयर की वजह से है, क्योंकि मोरीगांव जिले में 39 संदिग्ध परिवारों के नाम भी एनआरसी में शामिल हो गए जिनका जिक्र जिला आयुक्त ने किया है। गौरतलब है कि साल 2009 में एपीडब्ल्यू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 41 लाख विदेशियों के नाम मतदाता सूची से हटाने और एनआरसी को अपडेट करने की मांग की थी।
याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि साल 1951 से एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एपीडब्ल्यू याचिका को मंजूर किया था। कोर्ट ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को एनआरसी को अपडेट करने के लिए प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था, लेकिन इस पर वास्तविक काम दो साल बाद शुरू हुआ।
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