रमजान में रोजा तोड़कर मुस्लिम युवक ने बचाई अनजान हिंदू महिला की जान
गुवाहाटी। रमजान के पाक महीने में देश के अलग-अलग हिस्सों में इंसानियत की मिसाल देखने को मिल रही है। असम के एक मुस्लिम शख्स ने हिन्दू महिला की जान बचाने के लिए अपना रोजा तोड़कर रक्त दान किया। उनके इस काम की हर ओर प्रशंसा हो रही है। सोनितपुर के ढेकियाजुली निवासी मुन्ना अंसारी इन दिनों रोजा रख रहे हैं। जब उन्हें पता चला कि, किसी हिंदू महिला को खून की जरूरत है तो उन्होंने बिना समय गंवाए रक्तदान के लिए हामी भर दी। इससे पहले असम में ही एक मुस्लिम युवक ने रक्तदान कर हिंदू युवक की जान बचाई थी।
तीन दिन से महिला को नहीं मिल रहा था खून
विश्वनाछ हॉस्पिटल में भर्ती एक हिंदू महिला को खून की सख्त जरूरत थी। विश्वनाथ हॉस्पिटल की ओऱ से अंसारी को कॉल किया गया और बताया गया कि, एक महिला को खून की जरूरत है। अंसारी बिना समय गंवाए हुए अस्पताल पहुंचे औऱ महिला के लिए रक्तदान किया। महिला की पहचान रेबती बोरा (85) के तौर पर हुई है। रेबती बोरा को गाल ब्लेडर संबंधी बीमारी के चलते एक सप्ताह पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें B- (बी निगेटिव) खून की सख्त जरूरत थी।
...जब रोजा तोड़कर मुस्लिम युवक ने बचाई हिंदू की जान
फेसबुक पर पोस्ट डाल मांगी थी महिला के बेटे ने मदद
जिला ब्लड बैंक में इस गुप पर खून उपलब्ध नहीं था। जिसके बाद रोबती बोरा के परिजन तीन दिनों से खून की तलाश कर रहे थे। तीसरे दिन के बाद, जब रेबती के बेटे ने फेसबुक पर 'टीम ह्यूमैनिटी वॉलिंटियर ब्लड डोनर्स' ग्रुप पर एक संदेश डाला, तो अंसारी ने उन्हें जवाब दिया। उन्हें बताया कि, उनका रक्त समूह बी-निगेटिव है। रेबती के बेटे अनिल ने बताया कि, भले ही उनके साथ हमारे खून का कोई संबंध नहीं है, हम अब अपनी माँ के खून से बंधे हैं।
सभी रिश्ते खून और धार्मिक विश्वास से नहीं बंधे होते हैं
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए अनिल फूट-फूट कर रोने लगे और कहा कि मुन्ना द्वारा किया काम यह दिखाता है कि सभी रिश्ते खून और धार्मिक विश्वास से नहीं बंधे होते हैं। बता दें कि इससे पहले असम में ही एक मुस्लिम युवक ने हिंदू की जान बचाने के लिए रोजा तोड़ दिया और इंसानियत का फर्ज निभाया था। असम के मंगलदोई के रहने वाले पानुल्लाह अहमद और तापश भगवती दोनों ही ब्लड डोनर्स हैं और ब्लड डोनर्स समूह से जुड़े हैं। दोनों के पास ही गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल में ट्यूमर का ऑपरेशन करा रहे मरीज के बारे में फोन कॉल आई। उन्हें पता चला कि अस्पताल में भर्ती धीमाजी के रंजन गोगोई को खून की जरूरत है। पानुल्लाह ने बिना देर किए रक्तदान करने का फैसला किया।
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