असम: सरकारी मदरसे बंद करने वाला विधेयक विधानसभा में पेश, कांग्रेस-AIUDF ने किया विरोध
नई दिल्ली- नई दिल्ली- असम (Assam) सरकार ने सभी सरकारी मदरसों ( Madrassa)को बंद करने वाला बिल राज्य विधानसभा में पेश कर दिया है। इस विधेयक के पास हो जाने के बाद राज्य के सभी मदरसे शिक्षा के सामान्य संस्थानों में परिपर्तित हो जाएंगे और असम की सरकार भविष्य में कोई भी मदरसा नहीं बनाएगी। असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा (himanta biswa sarma) ने भरोसा जताया है कि यह विधेयक विधानसभा से पास करा लिया जाएगा। राज्य सरकार के मुताबिक सरकारी मदरसों को बंद करने का फैसला एक सर्वे के बाद लिया गया है। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक राज्य में सरकारी खर्चों पर चलने वाले संस्कृत पाठशालाओं को भी बंद किया जाना है।
असम में सरकार मदरसों पर ब्रेक,विधेयक पेश
असम में सरकारी मदरसा खत्म करने का रास्ता साफ करने वाला विधेयक राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में पेश कर दिया है। इसकी जानकारी देते हुए राज्य के मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा है, 'हमने एक विधेयक पेश किया है, जिसके तहत सभी मदरसों को सामान्य शिक्षण संस्थानों में बदला जाना है और भविष्य में कोई भी मदरसा सरकार की ओर से स्थापित नहीं किया जाएगा। हमें इस विधेयक को पेश करके बहुत ही खुशी हो रही है, जिससे शिक्षा व्यवस्था के तहत सही मायनों में धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रमों की शुरुआत होगी। ' सरमा ने ये भी बताया है कि राज्य की विपक्षी पार्टियां, 'कांग्रेस (Congress) और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने इस विधेयक का विरोध किया है। लेकिन, हम इस बात को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि इस विधेयक को पास किए जाने की आवश्यकता है और यह पास हो जाएगा।'
Recommended Video
विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा कदम
गौरतलब है कि अगले साल ही असम विधानसभा का चुनाव होने जा रहे हैं। उससे पहले सरकारी मदरसों को बंद करने वाले विधेयक को चुनाव से ही जोड़कर देखा जा रहा है। सोमवार से शुरू हुआ राज्य विधानसभा का सत्र तीन दिनों के लिए है, ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि इस बिल को हर हाल में पहले ही पास करा लिया जाए। इससे पहले अक्टूबर में हेमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया था कि असम में मदरसा बोर्ड भंग कर दिए जाएंगे और सभी सरकारी मदरसों को सामान्य स्कूलों में परिवर्तित कर दिया जाएगा। तब उन्होंने साफ किया था कि राज्य सरकार की निजी मदरसाओं को बंद करने का कोई इरादा नहीं है। इसके साथ ही सरकारी खर्चों पर चलने वाले संस्कृत पाठशालाओं को भी बंद करने की भी बात है।
15 दिसंबर को राज्य सरकार ने लिया फैसला
जानकारी के मुताबिक असम में 614 सरकारी और मान्यता प्राप्त मदरसे हैं और 900 निजी मदरसे चलाए जा रहे हैं। इन मदरसों पर सालाना जनता की 260 करोड़ रुपये की गाढ़ी कमाई खर्च हो जाती है। इसी तरह से राज्य में करीब 1,000 मान्यता प्राप्त संस्कृत पाथशालाएं हैं, जिनमें 100 को सरकारी फंड मिलता है। इसी महीने की 15 तारीख को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार के खर्चे से चलने वाले सभी मदरसो और संस्कृत पाठशालाओं को बंद करने का फैसला लिया गया था। राज्य सरकार के मुताबिक गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने सर्वे में पाया था कि मदरसों के स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को नहीं पता होता कि उनके बच्चों को वहां रेगुलर विषय नहीं पढ़ाया जाता। हालांकि, जानकारी के मुताबिक मदरसा टीचरों को दूसरे स्कूलों में पढ़ाने की इजाजत दी जा सकती है।
इसे
भी
पढ़ें-
सिर्फ
एक
हिंदू
परिवार
वाली
सीट
से
जीतने
वाले
BJP
उम्मीदवार
इकबाल
मलिक
कौन
हैं
?