Assam: कोरोना से बचाव के लिए डॉक्टर ने ली थी मलेरिया की दवा, हार्ट अटैक से मौत
नई दिल्ली- असम में कोरोना वायरस से बचाव के लिए एक डॉक्टर ने एंटी-मलेरिया की दवा ली, लेकिन उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई है। ये जानकारी उसके साथियों ने दी है। हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि संबंधित डॉक्टर की मौत से उसके एंटी-मलेरिया दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने से क्या कोई संबंध है। बता दें कि असम में अब तक कोरोना का एक भी पॉजिटिव केस सामने नहीं आया है। ये भी तय है कि फिलहाल इस तरह का मामला सामने आने पर वहां सरकारी अस्पतालों और उसके डॉक्टरों को ही उन्हें हैंडल करना है। लेकिन, जिस डॉक्टर की मौत हुई है, वो निजी अस्पताल में तैनात थे, लेकिन बताया जा रहा है कि उन्होंने फिर भी अपने बचाव में मलेरिया की दवा खा ली थी। सरकार की ओर से पहले कहा भी जा चुका है कि दवा के साथ ऐसा प्रयोग बहुत ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है। अब इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है कि आखिर उस डॉक्टर की मौत का कारण क्या है?
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कोरोना से बचने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा ली थी
गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल प्रतीक्षा हॉस्पिटल में सीनियर एनेस्थेटिस्ट उत्पलजीत बर्मन की मौत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 44 साल के डॉक्टर बर्मन की मौत गुवाहाटी के ही दूसरे अस्पताल में हृदय संबंधी परेशानियों की वजह से हुई है। ये जानकारी उनके सहयोगियों ने दी है। प्रतीक्षा अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट निर्मल कुमार हजारिका ने कहा कि, 'कोविड-19 से बचाव के लिए कई डॉक्टर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल खुद से कर रहे हैं। बर्मन ने भी ये लिया था।' उन्होंने बताया कि बर्मन को पहले से स्वास्थ्य संबंधी ऐसी कोई परेशानी नहीं थी और डॉक्टर इसको लेकर निश्चित तौर पर ये कहने की स्थिति में नहीं है कि उनकी मौत का हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने से कोई संबंध है। हजारिका ने कहा, 'हम यह पुख्ता तौर पर नहीं जानते कि उन्होंने दवा की कितनी डोज ली थी, संभवत: उन्होंने दो डोज ली थी।'
कोरोना के डर से डॉक्टर खा रहे हैं ऐसी दवा ?
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल टास्क फोर्स ने मलेरिया रोकने की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोविड-19 संक्रमित लोगों के बीच हाई रिस्क जोन में जाने वालों को बचाव के तौर पर यह दवा लेने की मंजूरी दी हुई है। असम में अब तक कोविड-19 पॉजिटिव एक भी केस सामने नहीं आया है और इस बीमारी का इलाज या जिसमें इसके लक्षण पाए जाते हैं उनकी निगरानी के लिए सिर्फ सरकारी लैब और अस्पतालों को ही इजाजत दी दई है। लेकिन, जानकारी के मुताबिक एहतियात के तौर पर निजी अस्पतालों के डॉक्टर भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का खूब उपयोग कर रहे हैं। जबकि, इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी फ्लू-जैसे संक्रमण के लक्षण दिखाई पड़ने वाले सिर्फ दो तरह के लोगों के लिए ही दी गई है, जो या तो कोरोना संदिग्धों अथवा मरीजों की देखभाल में जुटे स्वास्थ्यकर्मी होते हैं और जो लोग कोरोना पॉजिटव लोगों के नजदीकी संपर्क में रहे हैं।
इस दवा का गैर-जरूरी इस्तेमाल है खतरनाक
जबसे इस तरह की जानकारी सामने आई है कि लोग ये दवा धड़ल्ले से खरीद रहे हैं तो सरकार की ओर से इसके गैर-जरूरी इस्तेमाल को लेकर सख्त चेतावनी भी जारी की गई है। क्योंकि, इसके इस्तेमाल का बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट का भी खतरा है और खासकर जो लोग पहले से हार्ट या किडनी संबंधी रोगों से जूझ रहें उनके लिए ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। बता दें कि भारत ने इस दवा के निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी है। सच्चाई ये है कि कोविड-19 से जुड़े मामलों में ऐसी दवाओं के इस्तेमाल को लेकर कोई निश्चित परिणाम तक पहुंचने के लिए अभी कई तरह के प्रयोगों की दरकार है, लेकिन लगता है कि डॉक्टर भी इस दवा के प्रयोग को लेकर अपना असमंजस दूर नहीं कर पा रहे हैं। (सभी तस्वीर प्रतीकात्मक)
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