असम में सर्बानंद सोनोवाल को कांग्रेस का प्रस्ताव, 30 विधायकों के साथ BJP छोड़े, बनाएं वैकल्पिक सरकार
नई दिल्ली। असम में जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है उसके बाद यहां के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को साधने की कांग्रेस ने कोशिश शुरू कर दी है। प्रदेश में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने मुख्यमंत्री से भारतीय जनता पार्टी छोड़ने को कहा है। साथ ही प्रदेश में वैकल्पिक सरकार बनाने की पेशकश की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैकिया ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून प्रदेश के खिलाफ है, लिहाजा अगर नई सरकार बनती है तो वह नागरिकता संशोधन अधिनियम और भारतीय जनता पार्टी की विरोधी होगी।
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वैकल्पिक सरकार का करेंगे समर्थन
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। जिसके बाद इस कानून को लागू कर दिया गया है। इस कानून के लागू होने के साथ ही असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने कहा कि अगर सोनोवाल अपने साथ विधायकों को लेकर भाजपा छोड़ देते हैं तो उनकी पार्टी वैकल्पिक सरकार बनाने में उनकी मदद करेगी। हम प्रदेश में नई सरकार बनाने में उनकी मदद करेंगे, नई सरकार में सोनोवाल ही मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि अभी तक इस पूरे प्रस्ताव पर सोनोवाल की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
30 विधायकों के साथ अलग हों सोनोवाल
पत्रकारों से बात करते हुए सैकिया ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सोनोवाल को भाजपा का दामन छोड़ देना चाहिए और उन्हें 30 विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो जाना चाहिए। सोनोवाल को अपने 30 विधायकों को बतौर निर्दलीय विधायक के तौर पर आगे रखते हुए नई सरकार का गठन करना चाहिए। हम असम में भाजपा विरोधी सरकार का समर्थन करेंगे और एक बार फिर से सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाने में उनकी मदद करेंगे। वहीं अषम गण परिषद ने कहा कि अगर नागरिकता संशोधन कानून रद्द किया जाता है तो हम एक बार फिर से भाजपा के साथ आ सकते हैं।
मंत्री और विधायकों को असम के साथ आना चाहिए
सैकिया से जब पूछा गया कि क्या भाजपा से अलग होने के बाद सोनोवाल मुख्यमंत्री बने रहेंगे तो उन्होंने कहा कि इसमे कतई कोई संदेह नहीं है। सोनोवाल को असम के लोगों की आलोचना का इसलिए सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने सीएए का समर्थन किया है। असम से प्यार करने वाले भाजपा के मंत्रियों और विधायकों को पार्टी छोड़ देनी चाहिए और असम के लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए। बता दें कि 11 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून संसद में पास होने के बाद से ही असम में भारी विरोध प्रदर्शन चल रहा है। लोग मांग कर रहे हैं कि इस कानून को रद्द किया जाए।
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